मण्डला,अगले महीने से शैक्षणिक सत्र शुरु होने वाला है, स्कूली विद्याथी स्कूल जायेंगे पर झुरगी पौंडी गांव के विद्याथी हमेशा की तरह बुढनेर नदी पार करके ही स्कूल जा सकेंगे। ग्रामीणों की उन्नति का मूलमंत्र ही विकास है और जब इसी विकास को लेकर उन्नति में बाधा आ जाती है तो उस तंत्र की सार्थकता पर सवाल खड़े हो जाते हैं । आंकड़ों और कागजी लिखापढ़ी में सही को गलत और गलत को सही किया जा सकता है, परंतु जो यथार्थ है वो अपनी जगह पर कायम रहता है, जिसे देखकर सही और गलत का आंकलन किया जाना चाहिए । विकासखण्ड मोहगांव की ग्राम पंचायत झुरगी पोंडी के ग्रामीण विगत कई वर्शो से अपने गांव में आवागमन के लिए सड़क व पुल निर्माण की मांग कर रहें है, परंतु उनकी मांग आज तक अधूरी की अधूरी है । कागजी आंकड़े तो ग्राम पंचायत झुरगी पोंडी तक सड़क बनाया जाना दर्शाते हैं परंतु वास्तविकता यह है कि सड़क झुरगी तक बनी है और पोंडी सड़क विहीन है चूंकि ग्राम पंचायत का नाम झुरगी पोंडी है इसलिए सरकारी आंकड़े इस ग्राम पंचायत तक सड़क निर्माण पूर्ण होना दर्शा रहें हैं । जबकि झुरगी और पोंडी के बीच की दूरी ४ किलोमीटर है और इस ४ किमी. के मार्ग में परेशानियां इतनी है कि गांव वालों का पैदल चलना तक दूभर है वहीं दूसरी ओर गांव से डिण्डौरी मुख्यमार्ग की दूरी मात्र २ किलोमीटर है परंतु इस २ किलोमीटर के फासले में बुढ़नेर नदी के होने से गांव वालों का आवागमन प्रतिदिन खतरा पार करने के साथ होता है । गांव के बच्चे जो स्कूल पढ़ने जाते हैं उन्हें प्रतिदिन नदी पार करनी पड़ती है और इस खतरे को पार करने के बाद वे २ किलोमीटर कच्चे मार्ग पर पैदल चलकर मण्डला डिण्डौरी मुख्यमार्ग तक पहुंचना पड़ता है तब कहीं जाकर उन्हें बस या जीप का साधन उपलब्ध हो पाता है । गांव में यदि कोई व्यक्ति बीमार पड़ जाता है तो उसे अस्पताल ले जाने के लिए लोगों को भारी मशक्कत करनी पड़ती है क्योंकि यहां तक एम्बूलेंस नहीं पहुंच सकती । कुल मिलाकर झुरगी पोंडी के ग्रामीणों को संचार कांति के इस युग में भी सड़क नसीब नहीं हो सकी है । इस हेतु ग्रामीण जन अनेक बार जिला प्रशासन के समक्ष अपनी मांग रख चुके हैं यहां तक कि क्षेत्रीय विधायक ने संबंधित विभाग को पत्र भी लिख दिया है परंतु आज दिनांक तक गांव के हालात जैसे के तैसे बने हुये है । अब तक कोई भी उम्मीद की किरण दिखाई नहीं दे रही है। बीते दिनों नर्मदा सेवा यात्रा में ग्राम चाबी में आयोजित हुए मुख्यमंत्री के जनसंवाद कार्यक्रम में भी गांव के कुछ लोगों ने मुख्यमंत्री से इस पुल के निर्माण की बात रखी थी। जिसे लेकर मुख्यमंत्री ने भी शीघ्र कार्यवाही का आश्वासन दिया है। वहीं गांव के लोग अब इस पुल निर्माण की मांग को लेकर हताशा का शिकार होते जा रहे हैं। प्रशासन और जनप्रतिनिधियों पर उनका भरोसा कमतर सा हो गया है। पुल निर्माण की आवश्यकता कितनी है यह उस गांव तक जाकर देखा जा सकता है जहां बरसों बरस बीत गये आज भी गांव के बच्चे नदी पार कर स्कूल पढ़ने जाते हैं । एम्बूलेंस से अस्पताल जाने के लिए मरीज को ४ किमी. पैदल चलना पड़ता है शायद यही मेरे प्रदेश का विकास है और इसलिए हम स्वर्णिम प्रदेश का गुणगान भी कर रहें है । खैर कहा जाता है कि आशा से आसमान टिका होता है देखतें है कि अत्यधिक महत्व की यह सड़क और पुल बन पाते हैं या नहीं । बुढनेर नदी का बहाव अन्य मौसम में भले ही कम रहता हो पर आ रहे बारिश के मौसम में प्रचंड वेग से प्रवाह बना रहता है। इस बीच ग्रामीण अपनी जरुरतों को पूरा करने के लिए जान जोखिम में डालने के लिए मजबूर रहते हैं। छोटी छोटी डोंगियों के सहारे नदी पार की जाती है। इन डोंगियों में स्कूली बच्चे भी आते जाते हैं। वो तो अब तक कोई हादसा नहीं हुआ है इसलिए किसी को चिंता नहीं है पर क्या हादसा होने का इंतजार किया जा रहा है।