भोपाल,मध्य प्रदेश में इस साल हुई भीषण बारिश और बाढ़ से हुए नुकसान की भरपाई के लिए केंद्र सरकार से राहत राशि का इंतजार कर रही, कमलनाथ सरकार अब मोदी सरकार से दो-दो हाथ करने के मूड में है। नाथ सरकार के मंत्री अब मोदी सरकार पर मध्य प्रदेश की अनदेखी और राजनैतिक उत्पीड़न का आरोप लगा रहे हैं। कमलनाथ के मंत्रियों ने गुरुवार को हुई कैबिनेट की बैठक में बाढ़ राहत राशि मिलने में हो रही देरी पर चर्चा करते हुए कहा कि अगर सरकार जल्द ही बाढ़ राहत राशि नहीं देगी, तो कमलनाथ सरकार के सभी कैबिनेट मंत्री दिल्ली जाकर धरना देंगे। यह धरना प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृहमंत्री अमित शाह के घर पर भी होगा। इस रणनीति के बहाने कमलनाथ सरकार भाजपा को भी घेरने की पूरी तैयारी कर रही है।
भाजपा के धरने का जवाब
किसानों के मुद्दे पर प्रदेश भाजपा ने 4 नवंबर से धरना एवं विरोध प्रदर्शन की घोषणा की है। कमलनाझ सरकार अब भाजपा को घेरने के लिए प्राकृतिक आपदा में केंद्र सरकार द्वारा सहायता नहीं देने पर भाजपा सांसदों एंव
नेताओं को कटघरे में खड़ा करने के लिए आमंत्रित कर भाजपा नेताओं की कथनी और करनी को उजागर करने की
कहा जाता है कि कांग्रेस इस धरने में मध्यप्रदेश के भाजपा सांसदों को भी शामिल होने के लिए कहेगी। इसके लिए मुख्यमंत्री खुद सांसदों को पत्र लिखने पर विचार कर रहे हैं।
मध्यप्रदेश के लिए होने वाले विरोध-प्रदर्शन में शामिल होने के लिए आमंत्रित करेंगे। माना जा रहा है कि इस बहाने सरकार एक तीर से दो निशाने साधेगी। पहला मोदी सरकार पर दबाव बनाएगी और दूसरा भाजपा के सांसदों
के शामिल नहीं होने पर उनकी पोल भी खोलेगी जो कांग्रेस सरकार पर काम न करने का आरोप लगा रहे हैं। बता दें कि भारी बारिश और बाढ़ से हुए नुकसान की भरपाई के लिए मप्र सरकार लगातार केंद्र सरकार से सहायता प्रदान करने का आग्रह कर रही है, लेकिन अभी तक कोई सहायता राशि प्राप्त नहीं हुई है।
जबकि कर्नाटक एवं बिहार को केंद्र ने राशि दी है।
दो बार दौरा कर चुका केंद्रीय दल
केंद्र सरकार ने कर्नाटक और बिहार राज्य को भारी बारिश और बाढ़ से हुए नुकसान की भरपाई के लिए सहायता राशि उपलब्ध करा दी है जबकि केंद्रीय अध्ययन दल मध्य प्रदेश के प्रभावित जिलों में हुए नुकसान का दो बार सर्वे कर चुका है। मध्य प्रदेश में हुए नुकसान की रिपोर्ट केंद्र सरकार को भेजी जा चुकी है। केंद्र से सहायता न मिलने के बाद भी कमलनाथ सरकार अपने संसाधनों से अब तक अति वृष्टि और बाढ़ प्रभावितों को 200 करोड़ रुपए की सहायता दे चुकी है।
बाढ़-बारिश से राज्य में भारी नुकसान
मध्य प्रदेश सरकार के मुताबिक भारी बारिश से राज्य में करीब 16 हज़ार करोड़ रुपये का नुकसान हुआ है। 50 लाख से ज्यादा किसानों की लाखों हेक्टेयर फसल बर्बाद हो गई तो वहीं हजारों मकान टूटे हैं। इसके अलावा हजारों किलोमीटर की सड़कें पूरी तरह खराब हो गई हैं। इसके बाद भी केंद्र सरकार मप्र के बारे में चुप्पी साधकर बैठी है।
मोदी सरकार से दो-दो हाथ, आपदा राशि की मांग को लेकर केंद्र के घेराव में शामिल होने मप्र के सांसदों को भी न्यौता ?
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