नई दिल्ली,राष्ट्रपति चुनाव के बहाने विपक्षी महागठबंधन की नींव के साथ ही प्रस्तावित गठबंधन के राजनीतिक ढांचे की रूपरेखा को लेकर भी चर्चाएं तेज है। गैर एनडीए विपक्ष की १७ पार्टियों ने सोनिया गांधी की बुलाई पहली बैठक में जिस तरह के संकेत दिए उससे सोनिया का विपक्षी महागठबंधन की अध्यक्ष बनना लगभग तय माना जा रहा है। महागठबंधन के संयोजक पद के लिए बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और एनसीपी प्रमुख शरद पवार सबसे प्रबल दावेदार माने जा रहे हैं। विपक्षी पार्टियों के नेताओं ने सोनिया की लंच बैठक में भाजपा-एनडीए की राजनीतिक ही नहीं विचारधारा को चुनौती देने के लिए की गई पहल का जिस तरह खुलकर समर्थन किया उससे साफ है कि गठबंधन की अध्यक्षता उनको सौंपे जाने पर आम राय बन रही है। वैसे भी सोनिया यूपीए गठबंधन की अध्यक्ष हैं। २००४ के लोकसभा चुनाव के बाद सोनिया ने कांग्रेस की अगुआई में यूपीए की कमान संभाली थी।
राष्ट्रपति चुनाव पर विपक्षी पार्टियों की बैठक में शामिल एक वरिष्ठ नेता ने कहा कि भले अभी महागठबंधन के राजनीतिक ढांचे की रूपरेखा नहीं बनी है। मगर इसमें संदेह की गुंजाइश नहीं कि सोनिया इसकी कमान संभालेंगी। गठबंधन का अध्यक्ष ही विपक्ष का प्रधानमंत्री पद का उम्मीदवार होगा यह जरूरी नहीं। इस लिहाज से भी सोनिया का चेहरा सभी विपक्षी पार्टियों को मुफीद बैठता है। गठबंधन की अध्यक्षता में नेता का कद मायने रखता है। क्योंकि तमाम दलों के नेताओं को उनकी अगुआई कबूल करनी होती है। इसलिए शरद पवार से लेकर नीतीश कुमार हों या ममता बनर्जी से लेकर मायावती किसी को सोनिया की अगुआई में काम करने में दिक्कत नहीं होगी।