इंडोर एयर पलूशन में इंसान भी है भागीदार, इससे खराब होती है ऑफिस की हवा

नई दिल्ली, बढ़ते वायु प्रदूषण का हमारे शरीर और सेहत पर बुरा प्रभाव पड़ रहा है इसे लेकर दुनिया भर में गंभीरता दिखायी जा रही है और लोग इसे लेकर चिंतित भी हैं। प्रदूषित हवा की वजह से फेफड़ों से जुड़ी कई बीमारियां, दिल से जुड़ी बीमारियां और कैंसर तक होने का खतरा कई गुना बढ़ रही हैं। इससे बचने के ‎लिये बाहर सड़कों की प्रदूषित हवा से दूर रहना चा‎हिए। क्यों‎कि घर से बाहर हवा में ऐसा जहर अमूमन गाड़ियों से निकलने वाले धुएं और गंदगी घोलते हैं। वहीं, दूसरों की सांसों की बदबू भी वायु प्रदूषण का एक बड़ा कारण है। इसके बारे में एक अध्ययन मे पता चला है ‎कि ऑफिस में ऐसी खराब हवा फैलाने के जिम्मेदार इंसान हैं। इसके बारे में पर्ड्यू विश्वविद्यालय के शोधकर्ताओं ने पाया कि एक आम आदमी ऑफिस में अमूमन एक हफ्ते में 40 घंटे तक बिताता है। इस स्टडी के को-ऑथर ब्रैन्डन बूर ने कहा ‎कि अगर आप चाहते हैं कि आपके ऑफिस में काम करने वाले कर्मचारियों की प्रॉडक्टिविटी बेहतर हो और उन्हें काम करने के लिए बेहतर एयर क्वॉलिटी मिले तो यह बेहद जरूरी है कि आप इस बात को समझें कि आपके ऑफिस की हवा में क्या है और किस तरह के प्रदूषक तत्वों का उत्सर्जन हवा में हो रहा है। ऑफिस की आंतरिक एयर क्वॉलिटी को क्या चीज प्रभावित करती है और किस तरह इंसान भी इंडोर एयर पलूशन में भागीदार हैं हालां‎कि इस बारे में और ज्यादा रिसर्च करने की जरूरत है। इसके अलावा उन्होंने कहा कि ऑफिस के वेंटिलेशन सिस्टम के अलावा हमारी सांसों में मौजूद कम्पाउंड आइसोप्रीन, बॉडी डियोड्रेंट, मेकअप, हेयर केयर प्रॉडक्ट्स जैसी चीजों से निकलने वाली स्मेल भी ऑफिस के अंदर और बाहर की एयर क्वॉलिटी को नकारात्मक रूप से प्रभावित करती है।

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