भोपाल,सरकारी योजनाओं में बजट की कमी दूर करने राज्य सरकार ने खजाने की तंगी दूर करने का नया रास्ता खोज लिया है। सरकार जल संसाधन विभाग सहित विभिन्न निगम मंडलों की बेकार पड़ी जमीनों का उपयोग करके फंड की व्यवस्था करेगी। इसके लिए अफसरों को जमीन का सर्वे कर रिपोर्ट पेश करने के लिए निर्देश दिए गए हैं। शुरुआत जल संसाधन विभाग और निगम मंडलों की संपत्ति से की जा रही है इसके बाद दूसरे विभागों को बेकार पड़ी संपत्ति का भी डेटा जुटाया जाएगा।
प्रदेश सरकार को केंद्र से मिले अपेक्षित राशि नहीं मिल पा रही है। इसको लेकर सरकार के मंत्री अनेक योजनाओं को लेकर केंद्र सरकार पर भेदभाव करने और मप्र को उसके हिस्से की कम राशि आवंटित करने का आरोप लगा चुके हैं। ज्ञात हो कि प्रदेश में किसानों की कर्ज माफी समेत कई राहतों पर सरकारी खजाने का खर्च बढ़ा है।
कलेक्टरों से मांगी गई रिपोर्ट
मप्र सरकार के मुख्य सचिव आरएस मोहंती ने राजस्व विभाग के अफसरों और कलेक्टरों को निर्देश दिए हैं कि अपने अपने क्षेत्रों में सरकारी की बेकार पड़ी जमीनों, भवन, कार्यालयों सहित अन्य संपत्ति का सर्वे करके संपत्ति का वेल्यूएशन कराएं। इसकी रिपोर्ट विभागववार पेश करें।शुरुआत जल संसाधन विभाग और निगम मंडलों की संपत्ति से की जा रही है। जल संसाधन विभाग की नगरीय क्षेत्र में संपत्ति कितनी है उसका ब्यौरा, क्षेत्रफल, उस पर बने भवन और वर्तमान में उसका क्या उपयोग हो रहा है या नहीं हो रहा है। इसकी जानकारी जुटाकर सरकार को भेजने के लिए कहा गया है। इसमें विभाग के बंद पड़े कार्यालयों, भवनों, विश्रामगृह, जर्जर भवनों की संख्या, लोकेशन, आकार, उससे संबद्ध भूमि का ब्यौरा आदि की जानकारी जुटाने अफसरों ने निचले अमले को ताकीद कर दिया है।
हर माह होगी राजस्व वसूली की समीक्षा
मुख्य सचिव की अध्यक्षता में सरकार की राज्य स्तरीय समिति हर महीने के सप्ताह में इस मामले सहित राजस्व वसूली की समीक्षा करेगी। समिति गुणदोष के आधार पर अनुपयोगी पड़े भवनों, जमीनों का उपयोग करके उसे किराये पर बेकार या जरूरत और सुविधानुसार बेचकर राजस्व जुटाने का प्रस्ताव तैयार कर निर्णय के निर्णय के लिए मंत्रिपरिषद के अनुमोदन के लिए भेजेगी। इसके अलावा विभिन्न औद्योगिक संस्थानों या सरकारी कार्यालयों पर जो राजस्व वसूली बकाया है उसे भी हर महीने वसूल करने के निर्देश दिए गए हैं।