भोपाल, नगरीय निकाय चुनाव प्रणाली में बदलाव के कारण अब यह साफ हो गया है कि निकायों के चुनाव तय समय पर नहीं होंगे। नई व्यवस्था के तहत चुनाव कराए जाने अध्यादेश को राज्यपाल लालजी टंडन की मंजूरी मिलने के बाद बुधवार को अधिसूचना जारी करने विधि विभाग भेज दिया गया। जनवरी में अधिकांश नगरीय निकायों का कार्यकाल पूरा हो रहा है लेकिन परिसीमन होने के बाद मतदाता सूची को नए सिरे से तैयार करना होगा। महापौर, सभापति और उपाध्यक्ष का चुनाव राज्य निर्वाचन आयोग चुनाव होने के 15 दिन के अंदर पहला सम्मेलन बुलाकर कराएगा। सूत्रों के मुताबिक नई व्यवस्था से चुनाव होने की वजह से कई सारे बदलाव होंगे। महापौर व अध्यक्ष को वापस बुलाने खाली कुर्सी, भरी कुर्सी के लिए मतदान अब नहीं होगा। परिसीमन चुनाव से दो माह पहले तक होगा। इसके मायने यह हुए कि नवंबर तक वार्डों का परिसीमन होगा। इसके बाद राज्य निर्वाचन आयोग मतदाता सूची एक जनवरी 2020 की स्थिति में तैयार कराएगा।
महापौर और अध्यक्ष पद के लिए आरक्षण 15 फरवरी को होगा। इस हिसाब से तय समय पर चुनाव अब नहीं हो पाएंगे। इसके लिए शासन को संचालन समिति गठित करनी होगी। नगरीय विकास एवं आवास विभाग ने बदली हुई परिस्थिति में नगरीय निकायों की सीमावृद्धि और वार्डों की संख्या तय करने का कार्यक्रम घोषित कर दिया है। वार्ड की संख्या और सीमाओं का निर्धारण तय करने की अधिसूचना कलेक्टर 17 अक्टूबर को जारी करेंगे। जिला प्रशासन की ओर से 31 अक्टूबर तक दावे-आपत्ति पर राय और शासन को अंतिम प्रकाशन के लिए रिपोर्ट भेजी जाएगी। 15 नवंबर को इसका अंतिम प्रकाशन होगा। वार्ड का आरक्षण 30 दिसंबर को करके कलेक्टर 10 जनवरी तक रिपोर्ट नगरीय विकास एवं आवास विभाग को भेजेंगे। 30 जनवरी को शासन स्तर से इसका अंतिम प्रकाशन होगा। 15 फरवरी को शासन महापौर और अध्यक्ष के पदों का आरक्षण करेगा।नगरीय विकास एवं आवास विभाग के अधिकारियों का कहना है कि अप्रत्यक्ष प्रणाली से चुनाव होने की वजह से महापौर का चुनाव अब निर्वाचित पार्षदों का पहला सम्मेलन बुलाकर राज्य निर्वाचन आयोग कराएगा। सम्मेलन चुनाव परिणाम की अधिसूचना जारी होने के 15 दिन के भीतर करना होगा। इसमें ही सभापति और उपाध्यक्षों का भी चुनाव आयोग कराएगा। यह काम पहले शासन स्तर से होता था।