लखनऊ, उत्तर प्रदेश में प्रियंका गांधी के कांग्रेस प्रवेश के बाद उठी आशा की किरण फिर फीकी पड़ती नजर आ रही है। यूपी विधानसभा के विशेष सत्र में कांग्रेस विधायक अदिति सिंह की उपस्थिति के बाद इस बात को लेकर कानाफूसी फिर शुरू हो गई है। कह सकते है कि झटके पर झटके खा रही प्रदेश कांग्रेस संभलने का नाम नहीं ले रही है। गांधी जयंती पर राष्ट्रीय महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा की लखनऊ में मौजूदगी और सरकारी नीतियों के खिलाफ प्रदर्शन में उनकी अगुआई के बावजूद पार्टी के विधानमंडल के विशेष सत्र का बहिष्कार सफल नहीं हो सका। सूत्रों का यहां तक कहना है कि विधायकों को बहिष्कार की जानकारी कांग्रेस विधानमंडल दल के नेता अजय कुमार लल्लू की प्रेस वार्ता के बाद मिली। इसके पहले तो वे सदन में जाने की तैयारी किए बैठे थे। सूत्र बताते हैं कि कांग्रेस में पहले यह तय किया गया था कि शाहजहांपुर से न्याय यात्रा शुरू होगी और जो लोग इसमें नहीं होंगे, वे सदन की कार्यवाही का हिस्सा होंगे। बाद में फैसला लिया गया कि विधानमंडल की कार्यवाही का बहिष्कार होगा, लेकिन विधायक अदिति ने सदन की कार्यवाही में हिस्सा लेकर अपने विचार भी रखे। सूत्र बताते हैं कि इस बारे में किसी विधायक से चर्चा नहीं हुई। प्रेस कॉन्फ्रेंस के पहले विधायक आराधना मिश्रा को बहिष्कार की जानकारी इसलिए हुई, क्योंकि वह उस समय प्रदेश कांग्रेस कार्यालय में मौजूद थीं। बताया जा रहा है कि इस घोषणा के बाद भी किसी विधायक को व्यक्तिगत तौर पर सूचित नहीं किया गया। बताया जा रहा है कि इसी तरह की संवादहीनता काफी समय से चल रही है, जिससे विधायकों में असंतोष उपज रहा है।
संवादहीनता और गुटबाजी के अलावा अदिति के कार्यवाही में शामिल होने के व्यक्तिगत कारण भी बताए जा रहे हैं। कहा जा रहा है कि अमूमन उन्हें पार्टी के फैसलों में कम ही शामिल किया जाता है। इसके अलावा हाल ही में उन पर हुए कथित हमले के बाद वह सुरक्षा की जरूरत महसूस कर रही थीं। इसके लिए राज्यपाल, सीएम से लेकर डीजीपी तक से कहा गया। बुधवार को उनके सदन में जाने के बाद गुरुवार को उन्हें विशेष सुरक्षा सरकार ने मुहैया करवा दी। कांग्रेस में प्रियंका गांधी वाड्रा की टीम के संदीप सिंह की एंट्री के बाद उनके लोगों का यहां लगातार दबदबा बढ़ रहा है। काफी काम में डीयू और जेएनयू के स्टूडेंट्स और पूर्व स्टूडेंट्स की मदद ली जा रही है। इससे यहां के लोग खुश नहीं हैं। इसका भी असर पार्टी की गतिविधियों पर महसूस हो रहा है। यह भी सामने आ रहा है कि अजय लल्लू का नाम प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष के तौर पर चर्चा में है। इसका दबे शब्दों में विरोध भी हो रहा है, क्योंकि लल्लू का बढ़ता दबदबा लोगों को पच नहीं रही है। बताते हैं कि पार्टी सीधे तौर पर दो खेमों में बंट गई है। पहला खेमा कमतर ओहदेदारों का है, जबकि दूसरे खेमे में कई बड़े नेता शामिल हैं, जो इस पक्ष में नहीं कि लल्लू को अध्यक्ष बनाया जाए।
यूपी में कांग्रेस नेताओं के बीच बढ़ी दूरियां, पार्टी फैसलों की नेता एक-दूसरे को नहीं दे रहे जानकारी
