नई दिल्ली, सालों के मनुष्य जवान रहने के लिए प्रयासरत मनुष्य चिरयौवन को लेकर लोग कुछ भी करने के लिए तैयार रहता हैं। ऐसे में कैटरपिलर फंगस यानी हिमालयी वियाग्रा हिमालयी क्षेत्र में पायी जाने वाली बहुउपयोगी जड़ी-बूटी है। इसका सेवन शरीर को तमाम समस्याओं से राहत देता है। इतना ही नहीं लाइलाज बीमारियों तक में इसके सेवन से आराम मिलता है। विशिष्ट प्रकार के पहाड़ी कीड़े पर उगने वाली इस फफूंद को हिमालयी वियाग्रा कहा जाता है, जो सोने से भी महंगी मिलती है। जानकारी के अनुसार एक किलोग्राम कैटरपिलर फंगस 60 लाख रुपये तक की मिलती है। इसके सेवन से नपुंसकता से लेकर कैंसर तक का इलाज संभव है। हाल ही में आई एक रिपोर्ट के अनुसार जलवायु परिवर्तन की वजह से इसका मिलना मुश्किल हो गया है। इसकी महंगी कीमत के कारण ही चीन और नेपाल में फफूंद यानी ‘यार्चागुम्बा’ को लेकर हुए झगड़ों में कई लोग मारे जा चुके हैं। इसका उत्पादन 3300 और 4000 मीटर हिमालय क्षेत्र के बीच में नेपाल, भूटान, भारत और तिब्बत में होता है। पतली और पीले रंग में मिलने वाली यह फफूंद काफी महंगी बिकती है।हिमालयी वियाग्रा में एसओडी, फैटी एसिड, न्यूक्लीओसाइड प्रोटीन, विटामिन ए, विटामिन बी1, बी2, बी6, बी12, जिंक, कॉर्बन और कार्बोहाइड्रेड पाए जाते हैं। एक ही पदार्थ में इन सभी के मिलने से यह लाइलाज बीमारियों के उपचार में रामबाण साबित होती है। जैसा कि हिमालयी वियाग्रा के नाम से ही काफी कुछ समझ में आ रहा है। कई देशों में इसका सेवन नपुंसकता के उपचार में किया जाता है। ऐसा माना जाता है कि इसके सेवन से शारीरिक अशक्तता दूर होती है और शरीर में आंतरिक ताकत आती है। हालांकि अभी तक वैज्ञानिक तौर पर इसके फायदे साबित नहीं हुए हैं।
कई अध्ययनों से साफ हो कि कैटरपिलर फंगस यानी हिमालयी वियाग्रा में एंटोबायोटिक गुण हैं। इसके सेवन से फेफड़ों और श्वसन प्रणाली संबंधी समस्याओं का उपचार संभव है। शरीर के किसी भी हिस्से में पुराने से पुराने दर्द से पीड़ित व्यक्ति के लिए हिमालयी वियाग्रा का सेवन फायदा देगा। क्योंकि यह एक पीड़ानाशक औषधि है, यह साइटिका और पीठ दर्द के पुराने से पुराने दर्द में आराम देती है।इसके अलावा कैटरपिलर फंगस यानी हिमालयी वियाग्रा को खाने से शरीर में स्फूर्ति बनी रहती है और शारीरिक क्षमता बढ़ती है। अगर आपका शरीर अक्सर थकान महसूस करता है, तो हिमालयी वियाग्रा का सेवन फायदेमंद रहेगा। अक्सर लोगों में लिवर संबंधी रोग पाए जाते हैं। जिस व्यक्ति को लिवर संबंधी परेशानी होती है, वह अक्सर बीमार रहता है और कुछ भी अच्छे से खा पी नहीं पाता। चीन में हिमालयी वियाग्रा का सेवन हेपीटाइटस बी के उपचार और लिवर संबंधी समस्या के लिए किया जाता है। ल्यूकेमिया के उपचार में भी हिमालयी वियाग्रा बेहद कारगर साबित होती है। ल्यूकेमिया एक प्रकार का ब्लड कैंसर है, जिसमें शरीर में सफेद रक्त कोशिकाओं की संख्या असामान्य रूप से बढ़ती हैं और इनके आकार में भी परिवर्तन होता है। ये जमाव स्वस्थ रक्त कोशिकाओं के विकास में बाधक होती हैं। हिमालयी वियाग्रा का नियमित सेवन क्षय रोग के उपचार में सहायक रहता है और इसके अलावा इसके सेवन से कुष्ठ रोग का उपचार भी संभव है।