बलरामपुर, उत्तर प्रदेश की बलरामपुर पुलिस ने पुलिस-प्रशासन की बैठकों में महिला जनप्रतिनिधियों की जगह खुद को जनप्रतिनिधि बताने वाले पतियों और पुरुष रिश्तेदारों के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है। एसपी ने जारी आदेश में कहा कि महिला प्रतिनिधियों की जगह आने वाले पुरुषों के खिलाफ एफआईआर दर्ज की जाए। इसके बाद उन्होंने यह भी कहा कि महिला जनप्रतिनिधियों के रिश्तेदारों के खिलाफ दर्ज पब्लिक या पुलिस-प्रशासन के अधिकारियों को धमकाने के मामलों में धोखाधड़ी-जालसाजी की धाराएं भी बढ़ाई जाएं। उन्होंने आदेश लिखा कि प्रधान और समितियों के सदस्य, अध्यक्ष पद पर कई ऐसी महिला जनप्रतिनिधि हैं, जो सरकारी कार्यक्रमों में आती हैं न पब्लिक से मिलती हैं। उनके रिश्तेदार खुद को जनप्रतिनिधि बताकर बैठकों के दौरान अधिकारियों के बगल में बैठ जाते हैं। ये लोग जनता को भी झांसा देते हैं। इनमें से कई का आपराधिक इतिहास भी है। जो पुरुष आपराधिक इतिहास के कारण चुनाव नहीं लड़ पाते, वे रिश्तेदारों के नाम पर जनता को छल रहे हैं। इससे महिलाओं का ही नहीं अपराधियों का सशक्तीकरण हो रहा है। उन्होंने कहा कि झांसेबाज, ढोंगी और खुद को प्रधानपति या अध्यक्षपति न बोलकर वे खुद को ही जनप्रतिनिधि बताते हैं। उन्होंने कहा कि भारतीय संविधान में महिलाओं को आरक्षण का प्रावधान का उद्देश्य यह है कि महिलाओं का सशक्तीकरण, उनकी राजनीतिक में सहभागिता बढ़े जबकि ऐसा नहीं हो पा रहा है। महिला जनप्रतिनिधियों के नाम पर उनके पुरुष रिश्तेदार अपना वर्चस्व और अंहकार बढ़ा रहे हैं। ऐसे में महिलाओं का सशक्तीकरण न होकर अपराधियों का सशक्तीकरण हो रहा है।