भिंड, शहर के वीरेंद्र नगर में पांच लोगों की हत्या के मामले में फांसी की सजा पा चुके अंकुर उर्फ नीतेश दीक्षित निवासी गोविंद नगर को हाईकोर्ट ने दोष मुक्त कर दिया है। जिला न्यायालय ने अंकुर को सजा सुनाने के लिए जो साक्ष्य पर्याप्त माने थे, उन्हें हाईकोर्ट ने पर्याप्त नहीं माना। साथ ही अंकुर के द्वारा यह हत्याएं किए जाने का मकसद भी अभियोजन सिद्ध नहीं कर पाया। 14 मई 2016 को शहर के वीरेंद्र नगर में रामबाबू शुक्ला के घर में उनकी बहू रीना, नातिन छवि, महिमा, अंबिका और गोलू की लाश मिली थी। इस सनसनीखेज वारदात की जैसे ही पुलिस को सूचना मिली तो मौका मुआयना किया। साथ ही फोरेसिंक एक्सपर्ट बुलाकर घटना स्थल से साक्ष्य उठाए। इस मामले में पुलिस ने छानबीन के बाद गोविंद नगर निवासी अंकुर उर्फ नीतेश दीक्षित को आरोपी बनाया। साथ ही उसे गिरफ्तार किया। पुलिस ने उसकी निशानदेही से हत्या के लिए प्रयोग किया गया चाकू भी बरामद कर लिया। बाद में पुलिस ने प्रकरण न्यायालय में सौंपा। न्यायालय ने भी इस सनसनीखेज वारदात में अभियोजन की ओर से प्रस्तुत किए गए साक्ष्यों के आधार पर आरोपी अंकुर को दोषी पाते हुए 19 मई को उसे फांसी की सजा सुना दी। इसके बाद अंकुर के परिवार ने हाईकोर्ट में याचिका दायर की। जहां हाईकोर्ट ने साक्ष्यों के अभाव और अंकुर के हत्या करने के पीछे की वजह अभियोजन द्वारा सिद्ध न कर पाने के कारण उसे दोष मुक्त कर दिया है। हाईकोर्ट में अंकुर की ओर से पैरवी सीनियर एडवोकेट राकेश शर्मा, पदम सिंह, बीके अग्रवाल और प्रद्युमन सिंह भदौरिया ने की। जिला न्यायालय ने डीएनए रिपोर्ट के आधार पर उसे माना था दोषी. इधर, हाईकोर्ट के एडवोकेट प्रद्युमन सिंह भदौरिया ने बताया कि जिला न्यायालय ने अंकुर को डीएनए रिपोर्ट और परिस्थितिजन्य साक्ष्यों के आधार पर दोषी माना था। जबकि हाईकोर्ट ने इसे परिस्थितिजन्य साक्ष्य के आधार निर्मित केस में भी दो भागों में विभक्त किया। पहला रेप, दूसरा मर्डर। अभियोजन ने डीएनए रिपोर्ट के आधार पर रेप तो साबित कर दिया। लेकिन मर्डर के पीछे की परिस्थितिजन्य साक्ष्यों की जो चेन थी, वह मकसद पर आकर टूट गई। परिणामस्वरूप अंकुर को इसका लाभ मिला।
निचली अदालत ने पांच लोगों की हत्या के मामले में सुनाई फांसी की सजा, लेकिन हाईकोर्ट ने किया दोषमुक्त
