गुमटी मामले की केंट बोर्ड सीबीआई या स्पेसिफिक एजेंसी से कराए जांच, हाईकोर्ट ने डायरेक्टर डिफेंस को दिए निर्देश

जबलपुर, केंटोनमेंट बोर्ड द्वारा कटंगा चौराहे के समीप दुकानों का निर्माण, आवंटन व अतिक्रमण के खिलाफ हाईकोर्ट में याचिकाएं दायर की गईं थीं। एक्टिंग चीफ जस्टिस आरएस झा व जस्टिस विशाल घगट की युगलपीठ ने याचिका की सुनवाई करते हुए डायरेक्टर डिफेंस स्टेट लखनऊ को निर्देशित किया है कि वह मामले की जांच सीबीआई या स्पेसिफिक एजेन्सी से करवा सकते हैं । युगलपीठ ने केंट बोर्ड के सीईओ राहुल आनंद शर्मा के खिलाफ विभागीय जांच के आदेश जारी किए हैं। जांच में केंट बोर्ड के पार्षद की संलिप्ता पाई जाती है तो उनके खिलाफ भी कार्यवाही के निर्देश दिए हंै। युगलपीठ ने जांच रिपोर्ट चार सप्ताह में न्यायालय के समक्ष पेश करने के निर्देश दिए हैं, हालांकि विस्तृत आदेश फिलहाल प्रतीक्षित है।
उल्लेखनीय है कि यह जनहित याचिका नर्मदा रोड निवासी राजेश शर्मा की ओर से दायर की गई है। वहीं इसी से संबंधित मामले को लेकर आबिद हुसैन की ओर से भी एक याचिका हाईकोर्ट में दायर की गई है। दायर मामले में कहा गया है कि जबलपुर केंटोनमेंट बोर्ड ने कटंगा तिराहे के समीप जो 40 से 45 दुकानों का निर्माण किया है, वह शासकीय जमीन है, जिस पर अतिक्रमण कर उक्त दुकानों का निर्माण कर उन्हें आवंटित किया गया है। इतना ही नहीं उक्त दुकानों के कारण यातायात व्यवस्था भी अराजक हो चुकी है, सड़कों पर लोगों के वाहन खड़ें हो रहे हैं, जिससे काफी परेशानियों का सामना करना पड़ता है।
इन्हें बनाया गया पक्षकार
मामले में जबलपुर कलेक्टर, निगमायुक्त, केंटोनमेंट बोर्ड व पीडब्ल्यूडी के ईई को पक्षकार बनाया गया है। वहीं कटंगा निवासी सब्जी विक्रेता गीता गौंडदाने ने भी मामले को हाईकोर्ट में चुनौती दी है। जिसमें कहा गया है कि वर्षों से उक्त क्षेत्र में सब्जी विक्रय का कार्य करते थे और उनके पास लाइसेंस भी है। लेकिन उन्हें यह कहकर हटाया गया कि दुकानों का निर्माण होने पर सर्वप्रथम दुकानों का आवंटन उन्हें किया जाएगा। आरोप है कि पात्र लोगों को दुकानों का आवंटन न कर रसूखदारों को दुकानों का आवंटन किया गया है।
संपदा अधिकारी दे चुके हैं जवाब
मामले में विगत 26 फरवरी को सुनवाई करते हुए न्यायालय ने अपर कलेक्टर, निगमायुक्त, रक्षा संपदा अधिकारी व केंट बोर्ड सीईओ की जांच कमेटी गठित की थी। इसके बाद आगे हुई सुनवाई दौरान शासन की ओर से कहा गया कि उक्त जमीन शासन के स्वामित्व की है। इसके बाद हुई सुनवाई के दौरान अनावेदकों की ओर से पेश किए गए एफीडेविट में विरोधाभास होने पर न्यायालय ने मामले में नाराजगी व्यक्त हुए कार्रवाई कर रिपोर्ट पेश करने के निर्देश दिए थे। मामले की पिछली सुनवाई दौरान डीजी संपदा अधिकारी की ओर से कहा गया कि मामले के दोषियों के खिलाफ कदम उठाये जा रहे हैं। मामले में आगे हुई सुनवाई पश्चात् न्यायालय ने मामले का पटाक्षेप कर दिया। याचिकाकर्ताओं की ओर से अधिवक्ता अहदुल्ला उस्मानी व अमित खत्री ने पक्ष रखा।

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