चित्रकूट से अमरकंटक तक निकाली जाएगी मंदाकिनी कावड यात्रा

भोपाल,कमलनाथ सरकार ने मंदाकिनी कावड़ यात्रा निकालने की तैयारी की है। यह कावड यात्रा भगवान राम के वनगमन पथ को नया तीर्थ बनाने से पहले निकलेगी। प्रस्तावित ‘राम वन गमन पथ” की जमीन तैयार करने चित्रकूट से मंदाकिनी नदी का जल अमरकंटक ले जाकर नर्मदा नदी का अभिषेक किया जाएगा। अभियान में जनता की भागीदारी बढ़ाने सरकार ने यह निर्णय लिया है। वनवास के दौरान भगवान राम के चरण जिन रास्तों पर पड़े थे, वहां ‘राम वन गमन पथ” बनाने का एलान 12 साल पहले पूर्ववर्ती भाजपा सरकार ने किया था, लेकिन उसके कार्यकाल में घोषणा जमीन पर नहीं उतर पाई। 2018 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने इस महत्वाकांक्षी योजना को अपने वचन पत्र में शामिल कर लिया। सत्ता में आते ही कमलनाथ सरकार ने प्रस्तावित फोरलेन ‘राम पथ” के लिए 22 करोड़ रुपए का प्रारंभिक बजट मंजूर किया है। योजना के दायरे में आने वाले छह जिलों (सतना, पन्ना, कटनी, उमरिया, शहडोल और अनूपपुर) में प्राचीन तीर्थ स्थलों के जीर्णोद्धार, विकास, जन सुविधाएं देने की कार्ययोजना बनाई गई है। इसके पहले जल्द ही चित्रकूट से अमरकंटक तक गांव-गांव में उत्सव मनाने की तैयारी है। इसके लिए मंदाकिनी के जल की कांवड़ यात्रा निकालकर उद्गम स्थल पर नर्मदा का अभिषेक किया जाएगा।
पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने वर्ष 2007 में चित्रकूट में राम पथ योजना का एलान किया था। इसके बाद शोध और सर्वेक्षण के लिए समिति बनाने के अलावा जमीन पर कोई काम नहीं हो पाया। करीब 150 किलोमीटर लंबे आध्यात्मिक हाइवे की योजना में मौजूदा सरकार ने कुछ परिवर्तन भी किए हैं। प्रस्तावित राम पथ के प्रमुख तीर्थ स्थलों पर धार्मिक पर्यटन और रोजगार को बढ़ावा देने विकास कार्य होंगे। जाने-माने इतिहासकार और पुरातत्वशास्त्री डॉ. राम अवतार ने भगवान श्रीराम और माता सीता के जीवन की घटनाओं से जुड़े करीब 200 स्थानों की खोज की है। उन्होंने स्मारकों, भित्तिचित्रों, गुफाओं की जांच-पड़ताल और समयकाल की गणना भी वैज्ञानिक तरीकों से की। भगवान राम के जहां-जहां चरण पड़े उन दुर्लभ प्रमाणों को सहेजने चित्रकूट में संग्रहालय बनाया। अब राज्य सरकार ने ‘राम पथ” पर काम शुरू किया है। इस बारे में प्रदेश के जनसंपर्क एवं अध्यात्म विभाग के मंत्री पीसी शर्मा का कहना है कि मुख्यमंत्री कमलनाथ ने ‘राम वन गमन पथ” योजना को जमीन पर उतारने का संकल्प लिया है। योजना पर क्रियान्वयन के पहले क्षेत्रीय लोगों की भागीदारी सुनिश्चित करने ही चित्रकूट से अमरकंटक तक यात्रा निकालने की तैयारी की गई है।

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