रामपुर,यूपी में समाजवादी पार्टी के दिग्गज नेता और रामपुर संसदीय सीट से सांसद आजम खान पर प्रशासन का शिकंजा कसता जा रहा है। मंगलवार को मुलायम सिंह यादव के बचाव में उतरने के बावजूद प्रशासन ने अब उनकी जौहर यूनिवर्सिटी से 17.5 एकड़ की जमीन वापस लेने का आदेश दिया है। इतना ही नहीं, इस जमीन को उन्हें देने वाले तत्कालीन लेखपाल के खिलाफ भी कार्रवाई की गई है। डीएम अंजनेय कुमार सिंह ने बताया कि जौहर यूनिवर्सिटी को कुच्चा सड़क की 16 बीघा जमीन आवंटित कर दी गई थी। इस सड़क पर चकरोड का निर्माण होना था, लेकिन आजम की यूनिवर्सिटी ने इस जमीन पर कब्जा कर लिया और उसे यूनिवर्सिटी परिसर में समाहित करके उस पर निर्माण कर लिया।
डीएम ने बताया कि एसडीएम टांडा ने जौहर यूनिवर्सिटी को 13 सितंबर, 2012 को सामुदायिक उपयोग की 17.5 एकड़ चकरोड की भूमि विनियम की अनुमति देकर आजम के ट्रस्ट को दे दी थी। समाजवादी सरकार जाने के बाद जब भाजपा सरकार आई तो 20 सितंबर 2017 को पार्टी के एक क्षेत्रीय नेता आकाश सक्सेना ने इस मामले की शिकायत मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से की थी। डीएम ने तत्कालीन डीएम शिव सहाय अवस्थी को मामला भेजा था। तत्कालीन रामपुर डीएम शिव सहाय अवस्थी ने राजस्व बोर्ड परिषद से आजम खान के खिलाफ मुकदमा चलाने की अनुमित मांगी थी। राजस्व बोर्ड परिषद ने केस चलाने की अनुमति दे दी थी। इस आदेश को आजम ने हाईकोर्ट में चैलेंज किया। हाईकोर्ट ने राजस्व बोर्ड परिषद के फैसले को सही करार देते हुए आजम की याचिका 26 अगस्त, 2018 को खारिज कर दी थी।
चकरोड की जमीन कब्जाने के मामले में एक केस मुरादाबाद कमिश्नर की कोर्ट में चल रहा था। यहां कोर्ट में सुनवाई पूरी करते हुए कमिश्नर यशवंत राव ने एसडीएम टांडा के उस आदेश को खारिज कर दिया, जिसके तहत चकरोड की जमीन मौलाना मोहम्मद अली जौहर यूनिवर्सिटी को आवंटित कर दी गई थी। कमिश्रर ने जमीन वापस लेने के साथ ही तत्कालीन लेखपाल के खिलाफ कार्रवाई का भी आदेश दिया, जिसने जांच के बाद जमीन को जौहर यूनिवर्सिटी के नाम आवंटित करने का आदेश दिया था। डीएम अंजनेय कुमार सिंह ने बताया कि तत्कालीन लेखपाल को निलंबित कर दिया गया है।