नई दिल्ली,पूर्व पीएम मनमोहन सिंह ने देश की जीडीपी ग्रोथ में आई गिरावट को लेकर केंद्र सरकार पर हमला बोला है। उन्होंने अर्थव्यवस्था सुस्त होने के लिए केंद्र सरकार को जिम्मेदार ठहराते हुए कहा कि यह मैन मेड क्राइसिस है, जो कुप्रबंधन के चलते पैदा हुआ है। अर्थशास्त्र के जानकार मनमोहन सिंह ने कहा कि पिछली तिमाही की जीडीपी ग्रोथ पांच फीसदी रही है। इससे पता चलता है कि देश लंबे स्लोडाउन के दौर में है। भारत के पास ज्यादा तेज गति से ग्रोथ की क्षमता है, लेकिन केंद्र सरकार के चौतरफा कुप्रबंधन से हालात बिगड़े हैं। विर्निर्माण क्षेत्र की कमजोर ग्रोथ पर केंद्र सरकार को आड़े हाथों लेते हुए मनमोहन ने कहा कि यह महज 0.6 फीसदी रह गई है। इससे स्पष्ट है कि हमारी अर्थव्यवस्था अब तक नोटबंदी जैसी मानवजनित गलतियों से उबर नहीं सकी है। इसके अलावा गलत तरीके से लागू जीएसटी से भी इकॉनमी की हालत खराब हुई है।
पूर्व पीएम ने कहा, ‘घरेलू मांग और उपभोग में ग्रोथ 18 महीने के निचले स्तर पर है। जीडीपी ग्रोथ भी 15 साल में सबसे कम है। इसके अलावा टैक्स रेवेन्यू में भी कमी है। छोटे से लेकर बड़े कारोबारियों तक में टैक्स टेररिज्म का खौफ है। निवेशकों में भी आशंका का माहौल है और ऐसे संकेतों से पता चलता है कि अर्थव्यवस्था की रिकवरी अभी संभव नहीं है। केंद्र सरकार पर बेरोजगारी को बढ़ावा देने का आरोप लगाते हुए पूर्व प्रधानमंत्री ने दावा किया कि अकेले ऑटोमोबाइल सेक्टर में ही 3.5 लाख लोगों की नौकरियां गई हैं। इसके अलावा असंगठित क्षेत्र में भी बड़े पैमाने पर नौकरियां गई हैं, जिससे कमजोर तबके के मजदूरों के सामने आजीविका का संकट खड़ा हो गया है। उन्होंने कहा कि ग्रामीण भारत में स्थिति विपरीत है। किसानों को उनकी फसलों का पूरा दाम नहीं मिल रहा है और आय में लगातार गिरावट आ रही है। मोदी सरकार कम महंगाई दर को अपनी सफलता बता रही है, लेकिन यह किसानों की कीमत पर है, जो कि देश की आबादी का 50 फीसदी हिस्सा हैं।