नई दिल्ली,अर्थव्यवस्था में सुस्ती की समस्या से जूझ रही मोदी सरकार को आर्थिक विकास दर के मोर्चे पर भी झटका लगा है। चालू वित्तवर्ष की पहली तिमाही (अप्रैल-जून) में देश की आर्थिक विकास दर घटकर महज पांच फीसदी रह गई है, जो साढ़े छह वर्षों का निचला स्तर है। पिछले वित्तवर्ष की अंतिम तिमाही में आर्थिक विकास दर 5.8 फीसदी रही थी। केंद्रीय सांख्यिकी कार्यालय द्वारा शुक्रवार को जारी आंकड़ों से यह जानकारी मिली है।
देश में घरेलू मांग में गिरावट तथा निवेश की स्थिति अच्छी नहीं रहने से पहले से ही उम्मीद जताई जा रही थी कि जून तिमाही में विकास दर का आंकड़ा पहले से ज्यादा बदतर रहेगा।वित्तवर्ष 2019-20 की पहली तिमाही में देश की अर्थव्यवस्था साल दर साल आधार पर महज पांच फीसदी की दर से आगे बढ़ी है। विकास दर का यह आंकड़ा बाजार की 5.7 फीसदी की उम्मीद से काफी कम है। साल 2013 के बाद जीडीपी ग्रोथ का यह सबसे बुरा दौर है।
जीडीपी ग्रोथ में गिरावट पहली तिमाही में औद्योगिक उत्पादन वृद्धि के अनुकूल है, जो महज 3.6 फीसदी रही थी, जबकि पिछले साल की समान तिमाही में यह आंकड़ा 5.1 फीसदी था। बार-बार आने वाले आर्थिक सूचकों, जैसे वाहनों की बिक्री, रेल फ्रेट, डॉमेस्टिक एयर ट्रैफिक एंड इंपोर्ट्स (नॉन ऑइल,नॉन गोल्ड, नॉन सिल्वर, नॉन प्रेसियस और सेमी प्रेसियस स्टोन्स) ने उपभोग खासकर निजी उपभोग में गिरावट का संकेत दिया था, जबकि महंगाई दर कम रही थी।आरबीआई ने लगातार चौथी बार रीपो रेट में कटौती की, लेकिन अर्थशास्त्री इसका असर तत्काल दिखने को लेकर आशंकित थे। लगातार चार बार में रिजर्व बैंक कुल एक फीसदी की कटौती कर चुका है।
जून तिमाही में जीडीपी विकास दर घटकर 5 प्रतिशत
