देहरादून,उत्तराखंड में इन दिनों पवित्र अलकनंदा और मंदाकिनी का कल-कल करता निनाद रौद्र रूप में आ गया है। दरअसल बद्रीनाथ से आने वाली अलकनंदा का संगम रुद्रप्रयाग में होता है। अभी यहां के हालात आम दिनों से अलग काबू से बाहर हैं। जो घाट यात्रियों के स्नान के लिए बने हुए हैं, उन्हें प्रकृति की नजर लग गई है। तमाम घाट पानी के अंदर हैं और लगभग 20 फीट से ज्यादा ऊपर पानी बह रहा है। नदी से 15 मीटर की दूरी पर बनी मशहूर शिव प्रतिमा के कंधे तक अलकनंदा नदी का पानी बह रहा है। मतलब सीधा सा है कि घाटों के ऊपर बनी 20 फीट मूर्ति पानी के अंदर है। उत्तराखंड के रुद्रप्रयाग जिले का नाम दरअसल भगवान शिव के रौद्र रूप पर पड़ा है। शिव के क्रोध के तौर पर ही इस प्रयाग को पहचान मिली है जो एकदम सही भी लगती दिखाई देती है। तमाम स्नान ग्रह जो काफी ऊंचाई पर बनाए गए हैं, वो भी नदी में आने वाली रेत से पटे हुए हैं। ये बेहद अचंभित करने वाला है क्योंकि आमतौर पर ऐसा देखने को नहीं मिलता। प्रशासन की तरफ से घाटों पर जाने के लिए पूरी तरह पाबंदी लगा दी गई है ताकि किसी भी जनहानि से बचा जा सके।
केदारनाथ की ओर जाने वाले मार्ग पर बने हुए घाटों का भी लगभग यही हाल है। बस पानी का बहाव थोड़ा ज्यादा है। 30 फीट नीचे मुख्य स्नान घाट है, जिनके ऊपर एक और घाट है। उसके बाद वो स्थान है जहां यात्री और स्थानीय निवासी सुबह शाम स्नान करने के बाद बैठते हैं। आने वाले कुछ दिन और ऐसे ही आसमान से पानी बरसता रहा तो न जाने रुद्रप्रयाग में रहने वाले लोग कैसे स्थिति का सामना कर पाएंगे। मौसम वैज्ञानिक बिक्रम सिंह द्वारा की गई भविष्यवाणी अभी तक सही साबित हुई है। बिक्रम सिंह ने आगे पहाड़ों में ज्यादा बारिश होने का अनुमान जताया है, इसका असर मैदानी इलाकों में भी होगा। क्योंकि पहाड़ों में बरस रहा पानी धीरे-धीरे नदी के रूप में मैदान तक पहुंचेगा जो हरिद्वार, ऋषिकेश और रुड़की में बाढ़ का रूप अख्तियार कर लेगा।