नई दिल्ली, दुनियाभर के १०० देशों में में हैकरों ने सबसे बड़ा साइबर हमला किया है। इन देशों में भारत भी शामिल है। दुनिया के इतिहास का यह सबसे बड़ा साइबर हमला बताया जा रहा है। इस हमले की शुरुआत ब्रिटेन की नेशनल हेल्थ सर्विस से हुई। इससे अस्पताल में कम्प्यूटर्स और फोन बंद हो गए। इसके बाद अलग-अलग देशों में अस्पतालों, बड़ी कंपनियों और सरकारी दफ्तरों की वेबसाइट्स पर अटैक हुआ। इसे रैनसमवेयर अटैक कहा जा रहा है। यह ऐसा वायरस है जिससे डाटा लॉक हो जाता है। उसे अनलॉक करने के लिए हैकर्स बिटकॉइंस या डॉलर्स में रकम मांगते हैं। भारत में इस वायरस का असर आंध्र प्रदेश के पुलिस नेटवर्क पर पड़ा है। आंध्र पुलिस का २५प्रतिशत इंटरनेट नेटवर्क शनिवार सुबह ठप्प पड़ गया। डीजीपी एन संबाशिव राव ने कहा कि विंडोज से चलने वाले स्टैंडअलोन कम्प्यूटर्स पर असर पड़ा। उन्हें एहतियात के लिए लॉग ऑफ कर दिया गया। एप्पल आईओएस पर चलने वाले सिस्टम सुरक्षित हैं। एक सॉफ्टवेयर को १४ अप्रैल को एक ग्रुप शैडो ब्रोकर्स ने बनाया और इसे ऑनलाइन डाल दिया। दावा किया गया कि अमेरिका की नेशनल सिक्युरिटी एजेंसी से साइबर वेपन चोरी किया गया। रैनसमवेयर एक तरह का सॉफ्टवेयर वायरस है। इसके कंप्यूटर में आते ही आप अपनी कोई भी फाइल का इस्तेमाल नहीं कर सकते। अगर आप दोबारा फाइल खोलना चाहेंगे तो आपको हैकर्स को ३०० बिटकॉइन (करीब ३.२५ करोड़ रुपए) चुकाने होंगे। पैसा तय वक्त में ही देना होगा। नहीं तो वायरस ईमेल के जरिए और फैल जाएगा। इस साइबर हमले के लिए वन्ना क्राइ या वन्ना क्राई डिक्रिप्टर का इस्तेमाल किया गया। ये माइक्रोसॉफ्ट विंडोज सिस्टम के लिए खतरा है। रैनसमवेयर तब यादा असर करता है जब उसे आउटडेटेड सॉफ्टवेयर पर छोड़ा जाता है। माइक्रोसॉफ्ट का कहना है कि हम हालात पर नजर रखे हुए हैं। जल्द ही कोई हल निकाल लिया जाएगा।
-इन देशों पर असर
अमेरिका, फ्रांस, नॉर्वे और स्वीडन समेत १०० देशों पर साइबर हमला हुआ है। भारत में इसका असर पड़ा है। सबसे यादा असर वाले देशों में यूके, रूस, ताइवान शामिल हैं। इससे पहले २०१३ में याहू का डेटा चोरी हुआ था। करीब १ अरब अकाउंट्स से डाटा चोरी किया गया था। लेकिन दुनिया के १०० देशों में इस तरह के साइबर अटैक का पहला मामला है। फिनलैंड की साइबर सिक्युरिटी कंपनी एफ-सिक्योर के चीफ रिसर्च अफसर माइको हाइपोनेन के मुताबिक, रैनसमवेयर इतिहास का सबसे बड़ा साइबर अटैक है।