UGC पिछले दस सालों में अवार्ड हुई Phd थीसिस की जाँच करा रहा, नकल मिली तो अवैध होगी उपाधि

भोपाल, उच्च शिक्षा के स्तर में सुधार लाने और पीएचडी की गुणवत्ता में सुधार लाने की कवायद शुरू हो गई है। अब यूजीसी (विश्वविद्यालय अनुदान आयोग) ने पुरानी पीएचडी थीसिस की जांच कराने का फैसला किया है। इसके तहत वर्ष 2009 से 2019 के बीच प्रदेश सहित देशभर के विश्वविद्यालय में हुई पीएचडी की जांच की जाएगी। जांच में मुख्य रूप से थीसिस को देखा जा रहा है। अगर थीसिस में 10 फीसदी से ज्यादा नकल मिली, तो उस पीएचडी उपाधि को निरस्त कर दिया जाएगा। मप्र में पिछले दस साल में करीब 50 हजार पीएचडी अवार्ड हुई है, जो अब जांच के दायरे में है। अकेले बीयू में हर साल करीब 500 पीएचडी अवार्ड होती हैं। हर साल प्रदेश के विश्वविद्यालयों से 3 से 5 हजार पीएचडी डिग्रीधारी निकल रहे हैं। देशभर में इनकी संख्या लाखों में हैं। शोध के गिरते स्तर को सुधारने के लिए यूजीसी ने यह तरीका निकाला है। यूजीसी के निर्देश के बाद प्रदेश के कई विश्वविद्यालय की पीएचडी थीसिस की जांच शुरू भी हो गई है। जांच के लिए यूजीसी ने कमेटी बनाई हैं। यह कमेटी सभी विश्वविद्यालयों की थीसिस की जांच साफ्टवेयर के माध्यम से की जा रही है। निजी विश्वविद्यालयों के आने के बाद तो पीएचडी डिग्रीधारियों की संख्या लगातार बढ़ रही है, लेकिन हर साल हो रहे लाखों शोध के बाद भी इसका फायदा देश को नहीं मिल रहा है। इससे पीएचडी पर सवाल उठने लगे हैं।
कट-कॉपी-पेस्ट से हो रही पीएचडी
यूजीसी को शिकायत मिली है कि देश भर में अधिकांश पीएचडी जो कॉलेज शिक्षकों के सुपरविजन में पूरी की गई हैं, वो दोयम दर्जे की हैं, दूसरे शब्दों में कहें तो यह कट-कॉफी-पेस्ट वाली हैं। ये यूजीसी के मानकों पर खरी नहीं उतरती हैं। 11 नियमों में से 6 नियमों को फॉलो करना जरूरी है, लेकिन अधिकांश स्थानों पर मात्र दो ही नियमों का पालन हो रहा है। ऐसे में विवि से अवॉर्ड हो रहीं पीएचडी की साख पर सवाल उठने लगे हैं। पहले यह संख्या काफी कम थी, लेकिन 2019 तक यह संख्या लाखों में पहुंच गई है। इसी करने वाले छात्रों को घाटा हो रहा है। इसी कारण यूजीसी ने उपरोक्त निर्णय लिया है।
पीएचडी के लिए अब यह हैं नियम
वर्तमान में जो पीएचडी अवार्ड हो रही हैं, उसके लिए इन 11 नियमों का पालन करना होता है। एडमिशन इंटेस टेस्ट, इंटरव्यू या फिर दोनों तरीके से लिया गया हो। गाइड के लिए पीएचडी शोधार्थियों की लिमिट, रिजर्वेशन नीति, कोर्स वर्क व रिसर्च मैथडोलॉजी थ्योरी, रिसर्च एडवाइजरी कमेटी का रिव्यू, मैथडोलॉजी परीक्षा, सिनोप्सिस जमा करने से पहले पीएचडी प्रजेंटेशन, थीसिस सबमिट करने से पहले कम से कम एक पेपर का पब्लिकेशन, कांफ्रेस व सेमिनार में दो पेपर्स का प्रेजेंटेशन, सुपरवाइजर के अलावा थीसिस का इवैल्यूएशन स्टेट के बाहर के एक्सपर्ट से कराना और थीसिस की सॉफ्ट काफी का होना । इन 11 नियमों में से 6 नियमों को फॉलो करने वाले को ही विश्वविद्यालय की तरफ से प्रमाणपत्र दिया जाता है। अब नियमों में बदलाव होने से पारदर्शिता आएगी । अपात्रों पर नकेल कसेगी और पात्र छात्रों को लाभ होगा।

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