सेब खाते समय जरुरी है सावधानी, कहीं कोई बैक्टीरिया तो नहीं खा रहे आप ?

लंदन, सेहत और पौष्टिकता के लिए मशहूर सेब फल खाने से पहले आपको सावधान रहने की जरूरत है। अतिरिक्त फाइबर के लिए सेब खाएं तो यह याद रखिए कि आप करीब 10 करोड़ बैक्टीरिया निगलने जा रहे हैं। औये बैक्टीरिया हानिकारक या लाभदायक हैं, यह इस बात पर निर्भर करेगा कि सेब की पैदावार कैसे हुई है। शोधकर्ताओं का कहना है कि सेब में अधिकांश बैक्टीरिया मौजूद रहते हैं, लेकिन यह इस पर निर्भर करता है कि आप किस तरह का सेब खाते हैं या सेब आर्गेनिक है। उनका कहना है कि जैविक रूप से उगाए गए सेब में परंपरागत रूप से उगाए गए सेब की तुलना विविध प्रकार और संतुलित बैक्टीरिया होते हैं जो उसे स्वास्थ्यकारी और स्वादिष्ट बनाते हैं।
ऑस्टिया के ग्रेज यूनिवर्सिटी ऑफ टेक्नॉलजी के प्रोफेसर गैबरियल बर्ग ने बताया, ‘बैक्टीरिया, फंगी और वायरस भोजन के द्वारा हमारी आंतों में पहुंचते हैं। भोजन पकाने के दौरान इनमें अधिकतर मारे जाते हैं, इसलिए फल और कच्ची सब्जियां विशेष तौर पर आंतों में बैक्टीरिया के महत्वपूर्ण स्रोत हैं।’ माइक्रोबॉयलजी पर जर्नल फ्रंटियर में प्रकाशित अध्ययन में परंपरागत रूप से भंडाररित और खरीदे गए सेबों और ताजा आर्गेनिक सेबों के बीच बैक्टीरिया की तुलना की गई। नीचे थोड़ा छितराया हुआ स्टेम, पील, गुदा, बीज और कैलिक्स (पुंजदल)जहां फूल होता है, का अलग से विश्लेषण किया गया। कुल मिलाकर यह पाया गया कि परंपरागत और आर्गेनिक दोनों सेबों में बैक्टीरिया की संख्या समान थी।
बेग ने बताया, ‘प्रत्येक सेब के घटकों को औसत रूप से एक साथ रखने पर, हमने अनुमान लगाया कि 240 ग्राम सेब में करीब 10 करोड़ बैक्टीरिया हैं।’ अधिकांश बैक्टीरिया बीज में पाए गए और बाकी के अधिकतर फ्लेश में थे। इसलिए अगर आप बीज कोष को हटा दें तो आपके खाने में बैक्टीरिया की संख्य में 1 करोड़ तक की कमी आ जाएगी। अब प्रश्न यह है कि क्या ये बैक्टीरिया आपके लिए अच्छे या लाभकारी हैं? बेग ने व्याख्या करते हुए कहा, ‘ताजा और जैविक रूप से प्रबंधित सेबों में परंपरागत रूप से प्रबंधित सेबों की तुलना में महत्वपूर्ण रूप से अधिक विविधता, सम और विशिष्ट बैक्टीरिया का समुदाय पाया जाता है।’ बैक्क्टीरिया का विशिष्ट समूह जो स्वास्थ्य पर संभावित रूप से असर डालने के लिए जाने जाते हैं, का भी मूल्यांकन जैविक सेब के पक्ष में किया गया। शोधकर्ताओं का कहना है कि रोग पैदा करने के लिए जाने जाने वाले बैक्टीरियों का समूह ‘इसचेरिचिया-शिंगेला’ परंपरागत सेबों के नमूनों में पाया गया लेकिन जैविक सेबों में इसकी उपस्थिति नहीं थी।

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