भोपाल, राज्य की कमलनाथ सरकार अब प्रदेश में ई-व्हीकल को बढ़ावा देने की योजना पर काम कर रही है। प्रदेश में पेट्रोल-डीजल की बेतहाशा खपत और इन वाहनों से होने वाले प्रदूषण को कम करने के लिए प्रदेश सरकार इस दिशा में गंभीरता से विचार कर रही है। इसी तारतम्य में प्रदेश सरकार ने तय किया है कि प्रदेश के सभी नगर निगमों में चल रहीं सिटी बसों की जगह इलेक्ट्रिक बसों का उपयोग किया जाएगा। इलेक्ट्रिक टू-व्हीलर (बाइक) खरीदने पर रोड टैक्स और रजिस्ट्रेशन फीस में छूट भी मिल सकती है। साथ ही ई-रिक्शा लेने पर महिलाओं को ई-रिक्शा की कीमत का 40 प्रतिशत तक अनुदान दिया जाएगा। राज्य सरकार ने ई-व्हीकल पॉलिसी का मसौदा लगभग तैयार कर लिया है। जल्द ही इसे कैबिनेट की मंजूरी के लिए लाया जाएगा। भोपाल सहित पूरे प्रदेश में इलेक्ट्रिक बसों को चलाने की योजना को कई चरणों में पूरा किया जाएगा।
पहले चरण में भारत सरकार की फेमटू (फास्टर एडॉप्शन एंड मैनुफैक्चरिंग ऑफ इलेक्ट्रिकल व्हीकल) योजना में 10 लाख से ज्यादा जनसंख्या वाले 20 शहर और स्मार्ट सिटी में यह योजना लागू हो रही है।योजना में प्रदेश के दो शहरों को शामिल किया जा सकता है। करीब 300 इलेक्ट्रिक बसें प्रदेश को मिल सकती हैं। योजना में चार्जिंग इंफ्रास्ट्रक्चर खड़ा करने के साथ ही स्टैंडर्ड, मिडी बस और मिनी बसों के लिए सब्सिडी दी जाएगी। पॉलिसी पर अंतिम निर्णय 26 या 27 जुलाई को मुख्यमंत्री कमलनाथ कर सकते हैं। ई-रिक्शा की भोपाल में कीमत कंपनी, स्पीड और बैट्री पावर के अनुसार अलग-अलग है। फिर भी ये 80 हजार रुपए से लेकर 1.60 लाख रुपए तक की कीमत में उपलब्ध है। अगर कोई महिला 80 हजार की ई-रिक्शा खरीदती है तो 32000 रुपए का अनुदान सरकार की ओर से मिलेगा और जेब से 48,000 रुपए चुकाने पड़ेंगे। वहीं अगर 1.60 लाख का ई-रिक्शा खरीदती है तो अनुदान राशि 64,000 रुपए होगी, यानी महिला 96,000 रुपए भुगतान करने होंगे। केंद्र की इस योजना के अलावा ई-व्हीकल पॉलिसी के जरिए मप्र सरकार नगर निगमों में इलेक्ट्रिक बसें चलाएगी। ई-व्हीकल पॉलिसी पर अंतिम निर्णय 26 या 27 जुलाई को कमलनाथ कर सकते हैं। इसमें एक साल का समय लग सकता है। इस संबंध में नगरीय विकास एवं आवास मंत्री जयवर्धन सिंह का कहना है कि नगरीय विकास विभाग जल्द ही कैबिनेट में ई-व्हीकल पॉलिसी ला रहा है। प्रदेश के सभी नगर निगमों में इलेक्ट्रिक बसें चलाएंगे।