यूपी की आबकारी नीति में परिवर्तन शराब में मिलावट पर निरस्त होगा लाइसेंस 

लखनऊ, उत्तर प्रदेश में सीएम योगी आदित्यनाथ सरकार ने आबकारी नीति में बदलाव कर ओवर रेटिंग की शिकायत मिलने पर जुर्माने में साढ़े सात गुना बढ़ोतरी करते हुए पहली शिकायत पर 75 हजार रुपये, दूसरी बार 1.5 लाख रुपये और तीसरी शिकायत पर लाइसेंस निरस्तीकरण की कार्रवाई करने का सख्त प्रावधान किया है। इसके अलावा लगातार सामने आ रहे जहरीली शराब के मामलों को देखते हुए शराब में मिलावट पाए जाने पर पहली बार में ही रिटेल और हॉलसेल की दुकानों के लाइसेंस निरस्त करने का प्रावधान किया गया है। साथ ही मिलावट के आरोपियों पर गैंगेस्टर और एनएसए के तहत कार्रवाई करने का भी प्रावधान किया गया है। जहरीली शराब से मौत होने पर मिलावटी शराब बनाने वाले माफियाओं पर आईपीसी की धारा 304 के तहत गैर-इरादतन हत्या का मामला दर्ज करने का भी सख्त प्रावधान इस नए संशोधन में किया है। योगी सरकार जहरीली शराब से हुई मौतों के मामले में गंभीर नजर आ रही है और यही वजह है कि अब ऐसा कोई मामला सामने आने पर यूपी के आबकारी मंत्री जयप्रताप सिंह सीधे तौर पर जिला आबकारी अधिकारी पर ही पहली कार्रवाई करने की बात कह रहे है। इन सभी संशोधनों के पीछे सरकार की मंशा यूपी में जहरीली शराब से मौत के आंकड़ों को कम करने की है। लेकिन अगर एक नजर यूपी में योगी सरकार आने के बाद जहरीली शराब से मौत के आंकड़ों पर डाले तो स्थिति बेहद भयावह नजर आती है। सिर्फ अधिकारिक आंकड़ों की बात की जाए, तो योगी सरकार में जहरीली शराब से अभी तक 117 लोगों की मौत हो चुकी है। ऐसा नहीं है कि ये सभी मौतें सिर्फ एक ही साल में हुई है बल्कि ये सिलसिला साल दर साल बढ़ता चला आ रहा है। योगी सरकार के सत्ता में आने के बाद 2017 में आजमगढ़ जिले में जहरीली शराब से 7 लोगों की मौत हुई। साल 2018 में बाराबंकी जिले में 11, गाजियाबाद में 3, कानपुर नगर में 5, कानपुर देहात में 4, बिजनौर में 1 और शामली जिले में 5 लोगों की मौत जहरीली शराब पीने से हुई। इसके अलावा 2019 में कुशीनगर जिले में 11, सहारनपुर में 36, कानपुर नगर में 10 और बाराबंकी जिले में 24 की मौत का कारण जहरीली शराब ही है।

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