भोपाल,आदिवासी लोककला एवं बोली विकास अकादमी द्वारा मध्यप्रदेश जनजातीय संग्रहालय में बुधवार 10 मई 2017 को रंग त्रिवेणी, भोपाल के कलाकारों द्वारा तथागत बुद्ध की खरपुत्र जातक आधारित नाटक ‘तीसरा मंतर’ का मंचन किया गया। योगेश त्रिपाठी द्वारा रूपान्तरित इस नाटक की परिकल्पना, संगीत रचना एवं निर्देशन राष्ट्रीय नाट्य विद्यालय, नई दिल्ली के वरिष्ठ रंगकर्मी संजय उपाध्याय ने किया। नाटक में बुद्धत्व पूर्व बोधिसत्व के रूप में उनके जीवन से जुड़ी ज्ञान, दान, शील, मैत्री सत्य जैसी दस परिपूर्णताओं के उन्नयन के प्रति उनके सतत् बलिदान का स्मरण कराती है। रंग सौष्ठव से आबद्ध इस नाटक की सांगीतिक प्रस्तुति और उसमें निहित सौन्दर्य बोध को अनुपम शैली से प्रस्तुत करने में निर्देशक की भूमिका सराहनीय है।
कथा सार: आतताइयों की यंत्रणा से मुक्त नागराज जब उपहारस्वरूप काशी नरेश सेनक को आकर्षक नागकन्या प्रस्तुत करते हैं तो वे विनम्रतापूर्वक उसे अस्वीकार कर देते हैं। तब आग्रहपूर्वक नागराज, उन्हे ऐसा मंत्र देते हैं जिससे वे इच्छानुसार नागकन्या को प्राप्त करने में समर्थ होते हैं । लावण्यमयी यौवनता से पांशबद्ध काशी नरेश मंत्र पुष्टि के दौरान जब डेंडू बिरादरी के युवक से नागकन्या को प्रेमालाप करते देख क्रोधित राजा उसे दण्डित करते हैं। इससे नागकन्या नागलोक स्थित नागराज से प्रतिशोध की याचना करती है। इस संबंध में नागराज को जब वास्तविकता का भान होता है तो वह निर्दोष राजा को स्वयं तक सीमित रखने की शर्त पर समस्त प्राणियों की भाषा समझने का मंत्र देते हैं। इस मंत्र के प्रभाव से चींटिंयों-मक्खियों के संवाद संबंधी रहस्य जानने कीे जिद पर अड़ी रानी के समक्ष राजा की विवशता देखकर स्वर्गलोक से इन्द्र पत्नि सहित मृत्युलोक आते हैं। जहां इन्द्र की सलाह पर अमल करते हुए काशी नरेश संकटमुक्त होते हैं। नाटक में बड़ी संख्या में रंगकर्मी, कलाकार व दर्शक उपस्थित थे।
मंच पर
योगेश तिवारी, विभा श्रीवास्तव, प्रेम अष्ठाना, अर्चना कुमार, अजय दाहिया, शैलेन्द्र कुशवाह, विशाल आचार्य, अनुज शुक्ला, ललित सिंह, प्रभाकर दुबे, अक्षत सिंह, सूरज शर्मा, सिजां कुमार, पायल माण्डले, हिमांशी गुप्ता, अंशुमान सिंह, रूपेश तिवारी, खुशबू चैबित्कर और मानेन्द्र मारन
मंच से परे
संजय उपाध्याय, रहीमुद्दीन, रविराव, विद्याधर आम्टे, चन्द्र माधव बारिक, राखी दुबे, अनूप जोशी, वन्दना वशिष्ट,राकेश, रचना सिंह, हिमांशी गुप्ता, प्रमोद गायकवाड़, शहंशह, रविन्द्र विश्वकर्मा, आनंद मिश्रा और योगेश त्रिपाठी।