अशोकनगर, मॉडल रेल्वे स्टेशन अशोकनगर पर अव्यवस्थाओं के कारण यात्रियों को भारी परेशानी उठानी पड़ती है। वर्तमान में यात्री पानी की परेशानी से जूझ रहे हैं। जबकि एक साल पहले ही रेल्वे स्टेशन पर सोलह नई पानी की टंकी बनाई गई थीं। लाखों रुपये खर्च करने और एक साल बीतने के भी ये टंकियां सूखी पड़ी हुई हैं। जिससे रेल्वे प्लेटफार्म पर आने-जाने वाले यात्रियों सहित ट्रेनों में सबार यात्री भी परेशान हो रहे हैं। जैसे ही ट्रेन रुकती है यात्री पानी की टंकियों की ओर दौड़ते हैं। एक टंकी से पानी नहीं मिलता तो इस उम्मीद से की दूसरी टंकी में जरूर पानी होगा, भागते हैं। लेकिन यात्रियों की एक टंकी से दूसरे टंकी की दौड़ आखिर में मृग-मरीचिका ही साबित होती है। हैरानी की बात यह है कि कुछ टंकियों में टूट-फूट हो गई थी जिसे स्टेशन प्रबंधन द्वारा ठीक करवाया गया है। ऐसे में सबाल उठता है कि जब टंकियों में पानी ही नहीं है तो फिर टंकियों की मरम्मत पर पैसा बहाने का क्या औचित्य है। यह टंकियां प्लेटफार्म नम्बर एक और दो पर स्थित हैं। हालांकि कुछ पुरानी टंकियों में जरूर कभी-कभी पानी मिल जाता है लेकिन यात्री यह सोचकर की जब नई टंकियों में पानी नहीं है तो फिर पुरानी टंकियों में भी शायद ही पानी हा उन तक नहीं पहुंच पाते हैं। अच्छी बात यह है कि कई स्वयंसेवी संगठन प्लेटफार्म पर चलित प्याउ का संचालत कर रहे हैं। व्यक्तिगत तौर पर भी कई लोग स्वयं खर्चा करके यात्रियों की प्यास बुझाने के सराहनीय प्रयास कर रहे हैं। जिससे काफी हद तक यात्रियों को राहत मिल रही है। लेकिन रेल्वे विभाग द्वारा बनाई गई टंकी पानी की व्यवस्था न होने के कारण शोपीस साबित हो रहीं हैं।
और भी हैं परेशानियां:
रेल्वे स्टेशन पर केवल पानी की समस्या ही नहीं है और भी कई समस्याएं यात्रियों के लिए शूल की तरह चुभ रहीं हैं। प्लेटफार्म पर लगे कई पंखे बंद पड़े हैं। जिससे ट्रेनों का इंतजार कर रहे यात्रियों को पसीना-पसीना होना पड़ रहा है। स्टेशन पर आवारा पशुओं की धमाचौकड़ी भी मची रहती है। साथ ही साफ-सफाई का अभाव भी यात्रियों को दिक्कत देता है।