मजदूरी न मिलने से छत्तीसगढ़ में फंसे मंडला के मजदूर

मण्डला, जिले के श्रमिकों के शोषण का सिलसिला राज्य के बाहर भी नहीं थमा है। एक ओर यहां काम नहीं मिलता यदि रोजगार गांरटी योजना अंतर्गत काम मिला तो वर्षें भुगतान नहीं मिलता दूसरी ओर बेचारे आदिवासी श्रमिक मजबूर होकर अन्यत्र जिले व प्रदेश में काम करने चले जाते है। तो वहां भी उन्हे राहत नहीं मिलती। काम करा लिया जाता है और भुगतान नहीं किया जाता। एक ऐसा ही मामला प्रकाश में आया है विकासखण्ड घुघरी के खजरी ग्राम के आस-पास के 15 महिला 20 पुरूष 35 लोगों द्वारा छत्तीसगढ़ जिला राजनॉंदगांव के ग्राम कुमरदा में मोंगरा बांध के अंतर्गत नहर निर्माण का कार्य किया गया जहां इन मजदूरों को सप्ताह में सिर्फ 100-150 रूपये ही राशन के लिए दिए गए जबकि नियमानुसार प्रत्येक सप्ताह का पूर्ण भुगतान किया जाना चाहिए था। उक्त मजदूरों का एक माह का भुगतान 1 लाख 62 हजार रूपये शेष है। उक्त निर्माण कार्य का ठेका गायत्री वेर्न्चस कम्पनी दुर्ग को मिला है। उक्त कम्पनी ने यह कार्य पेटी ठेकेदार भुवनदास को दे दिया है। और यह पेटी ठेकेदार इन मजदूरों का भुगतान लेकर नादारत है। अब ये श्रमिक वहां 5 दिन से खाने को मोहताज है और वे अपने रिश्तेदारों की शादी में सम्मिलित हेने एवं कृषि कार्य करने अपने घर वापस आना चाहते है। किन्तु आने के लिए किराया भी नहीं है। उक्त आशय की जानकारी पीड़ित श्रमिक सेवाराम बैगा द्वारा समाज सेवी कन्हैया ठाकुर को मोबाईल पर दी गई और श्री ठाकुर द्वारा मध्यप्रदेश आदिवासी वित्त एंव विकास निगम के अध्यक्ष शिवराज शाह को मोबाईल पर यह घटना बताई गई सुनते ही श्री शाह इस विषय पर सकिय हुए और शाह ने छत्तीसगढ़ के सिंचाई मंत्रालय व राजनॉंदगांव के जिला कलेक्टर से भुगतान दिलाने के संबंध चर्चा की गई। शीघ्र ही श्रमिकों का भुगतान प्रदाय कर उन्हें अपने घर भेज दिया जायेगा और दोषी ठेकेदार के विरूद्ध कार्यवाही की जायेगी।

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