तिरुवनंतपुरम में इस दफे मुकाबला कठिन, शशि थरूर के लिए करो या मरो की जंग

तिरुवनंतपुरम,तीन हाई प्रोफाइल लोगों के मैदान में एक साथ उतरने के साथ ही केरल की राजधानी तिरुवनंतपुरम में चुनावी जंग बेहद दिलचस्प हो गई है। इस सीट से विपक्षी कांग्रेस के नेतृत्व वाले यूडीएफ ने यहां से अपने बहुत चर्चित नेता शशि थरूर को हैट्रिक बनाने की उम्मीद से टिकट दिया है। वहीं इतिहास रचने के लिए बीजेपी ने कुम्मानम राजशेखर को मैदान में उतारा है। जबकि सत्तारूढ़ एलडीएफ ने सीपीआई के ट्रेड यूनियन नेता रहे सी दिवाकरण पर दांव लगाकर मुकाबले को त्रिकोणीय बना दिया है। बता दें कि अक्सर अपने बयानों को लेकर सुर्खियों में बने रहने वाले कांग्रेस के वरिष्ठ नेता शशि थरूर ने वर्ष 2009 में लोकसभा चुनाव में 99,998 वोटों से शानदार जीत हासिल की थी। परंतु साल 2014 के लोकसभा चुनावों में बीजेपी के लिए जोरदार झटके की वजह से शशि थरूर की जीत का आंकड़ा घटकर 15000 पहुंच गया। दावा करते हुए थरूर ने कहा कि इस बार उन्हें चुनाव में वर्ष 2009 के लोकसभा चुनाव से अधिक मतों से जीत मिलेगी।
थरूर को वर्ष 2014 के चुनाव में 3 विधानसभा क्षेत्रों परस्सला, नेय्यटि्टनकारा और कोवलम में बढ़त मिली थी, जबकि बीजेपी के उम्मीदवार राजगोपाल को चार क्षेत्र में ज्यादा वोट मिले थे। इस बार पहले से अलग रणनीति बनाते हुए बीजेपी की कोशिश तिरुअनंतपुरम, नेमोन और कझाककोट्टम विधानसभा क्षेत्र में अधिक से अधिक वोट हासिल करना है। साथ ही बीजेपी को उम्मीद है कि सबरीमाला मुद्दे के कारण उनके पक्ष में हिंदू वोट एकजुट हो सकते हैं। इसी क्रम के अनुसार सिर्फ सबरीमाला मुद्दे पर फोकस नहीं रहेगा। उनका कहना है कि हम इस इलाके के विकास पर जोर डालेंगे। अन्य राज्यों की राजधानी से तुलना करें कि हमारे पास क्या है? सिर्फ केंद्र में बीजेपी सरकार ही राज्य की राजधानी को अंधेरे से विकास की ओर ले जा सकती है।
दूसरी तरफ तिरुअनंतपुरम में आईटी कंपनियों को लाने वाले थरूर का मानना है कि बीते 10 सालों में शहर के विकास के लिए उनके द्वारा किए गए कार्यों के नाम पर उन्हें वोट मिलेगा। वहीं दिवाकरण ने आरोप लगाया है कि थरूर दिन में सपने देख रहे हैं। उन्होंने कहा की जनता कि आकांक्षाओं को पूरा करने में थरूर पूरी तरह असफल रहे हैं। बता दें कि तिरुअनंतपुरम में हिंदू आबादी का प्रभुत्व है। यहां लगभग 67 फ़ीसदी लोग हिंदू, 19 फीसदी ईसाई एवं 14 फ़ीसदी मुस्लिम है। हिंदुओं में से 39 फ़ीसदी नैयर है, जिसके बाद एझवास, 27 फ़ीसदी नाडार, 4 फ़ीसदी और विश्वकर्मा 6 फ़ीसदी है।

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