अक्षय का दमदार अभिनय और संवाद ‘केसरी’ की ताकत है

मुंबई, होली पर रिलीज हुई केसरी फिल्म में अक्षय ने अपनी केसरिया पगड़ी से लोगों पर देशभक्ति का रंग छिड़क दिया है। 80 करोड़ के बजट में बनी अक्षय कुमार और परिणीति चोपड़ा की फिल्म 21 मार्च को सिनेमाघरों में दस्तक दे चुकी है।इस फिल्म में अक्षय और परिणीति ने अच्छा काम किया है। इसे देखने बाद कई दिन तक आपके जहन पर केसरिया रंग चढ़ा रह सकता है। शुरुआती दृश्यों में फिल्म ‘केसरी’ किसी बड़े बजट की पंजाबी डॉक्यूमेंट्री जैसी दिखती है।
जब पर्दे पर अक्षय कुमार जाबांज सिख सैनिक के अंदाज में नजर आते हैं तो ढ़ाई घंटे की फिल्म भी छोटी लगने लगती है।
हालांकि इस मामले में निर्देशक अनुराग सिंह के काम की भी दाद देनी होगी कि उन्होंने इतिहास से एक छोटी सी कहानी उठाकर उसपर ढ़ाई घंटे की जबरदस्त फिल्म बना डाली। यह कहानी 1897 में सारागढ़ी में लड़े गए एक ऐसे युद्ध से जुड़ी है, जिसे मात्र 21 सिख सैनिकों ने 10 हजार अफगानी लड़ाकों के खिलाफ लड़ा था। इस फिल्म में इन 21 सैनिकों के इमोशनल और जाबांजी को काफी बारीकी से दिखाया गया है। यहां एक बार फिर अक्षय कुमार अपने दर्शकों की उम्मीदों पर खरे उतरते हुए उन्हें देशभक्ति के रंग में सराबोर करने में सफल होते हैं।
फिल्म की कहानी की बात करें तो ‘केसरी’ की कहानी कुछ इस तरह शुरू होती है। गुलिस्तान फोर्ट पर तैनात हवलदार ईशर सिंह यानी अक्षय कुमार ब्रिटिश राज की सेना में एक सैनिक है। जो अफगानी लड़ाकों के लीडर राकेश चतुर्वेदी ओम के हाथों घायल एक महिला की जान बचाता है। यह काम उसने अपने फिरंगी साहब की अनुमति के बिना किया होता है। जिसके चलते उसका तबादला गुलिस्तान फोर्ट से सारागढ़ी फोर्ट में कर दिया जाता है। यहां से शुरू होती है असल कहानी। सारागढ़ी में आने पर ईशर को महसूस होता है कि यहां तैनात 21 सैनिकों में अनुशासन की कमी है। इसलिए वह अपने काम पर लग जाता है। इस दौरान अनुशासन सिखाने वाला और इमोशनली जुडने वाला ईशर सभी सैनिकों के दिलों पर राज करने लगता है।

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