भोपाल/इन्दौर, किसी भी प्रकरण के सामने आने के बाद उसमें आरोपी को सजा दिलाने के लिए सबसे जरूरी है साक्ष्य जुटाना। इसके लिए काफी मेहनत करनी पड़ती है और हर एक जांच बारिकी से करनी होती है इसके के बाद ही आरोपी को सजा मिलती है।
यह बात मप्र लोक अभियोजन विभाग के संचालक/पुलिस महानिदेशक (डीजी) राजेंद्र कुमार ने गोल्डन बुक ऑफ वर्ल्ड रिकार्ड्स अवार्ड के अवसर पर कही। विभाग को एक वर्ष में दुष्कर्म और हत्या के मामलों में 21 अपराधियों को फांसी की सजा तथा कटनी में पांच साल की बालिका के रेप केस में त्वरित न्याय दिलाते हुए 5 दिन में ही आरोपी को सजा दिलाने के लिए दो अवार्ड दिए गए।
मप्र लोक अभियोजन विभाग की जनसंपर्क अधिकारी श्रीमती मोसमी तिवारी ने बताया कि भोपाल स्थित पीटीआरआई, जहांगीराबाद में आयोजित समारोह में प्रदेश के गृहमंत्री बाला बच्चन की उपस्थिति में गोल्डन बुक ऑफ वर्ल्ड रिकार्ड्स के दो प्रमाण पत्र आशीष गुहे (सीजनल कॉर्पोरेट प्रोफेशनल, मैनेजमेंट ट्रेनर एंड वालंटियर विद गोल्डन बुक ऑफ वर्ल्ड रिकार्ड्स) द्वारा डीजी राजेंद्र कुमार को दिए गए। इस सम्मान के प्रतिउत्तर में श्री राजेंद्र कुमार ने कहा कि विभाग के अधिकारियों की मेहनत का परिणाम है कि आज यह सम्मान मिल रहा है। उनका कहना था कि प्रत्येक प्रकरण में जल्दी से जल्दी सजा दिलाना आसान नहीं है। हर बिंदु पर जांच और सारे साक्ष्य जुटाने से ही यह संभव है। एक वर्ष में अधिकतम 21 अपराधियों को फांसी को सजा दिलाने के लिए उन्होंने अधिकारियों के कार्यों की प्रशंसा भी की।
इस अवसर पर गृहमंत्री बाला बच्चन ने कहा कि जिस तरह से मप्र लोक अभियोजन विभाग द्वारा अपराधियों को कम से कम समय में सजा दिलाई जा रही है, उससे जघन्य अपराधों खासकर महिलाओं और बच्चों से संबंधित अपराधों में कमी आएगी। उनका कहना था कि प्रदेश में अपराधों में कमी लाने के लिए इस विभाग के अधिकारियों का सराहनीय योगदान रहा है।
मप्र पहला राज्य बना
एक वर्ष में 18 नाबालिगों के साथ दुष्कर्म एवं तीन हत्या के मामलों में अपराधियों को फांसी की सजा दिलाने वाला मप्र पहला राज्य बन गया है। इस उपलब्धि के लिए पूर्व में वर्ल्ड बुक ऑफ रिकार्ड्ज़-लंदन द्वारा भी सम्मानित किया जा चुका है।