भोपाल,अब एक एैसा दीक्षांत समारोह होने जा रहा है,जिसमें आप टोपी और गाउन के लिबास में नहीं बल्कि छात्र-छात्रओं को भारतीय परिधान में देखेंगे। इस तरह का समारोह अटल बिहारी वाजपेई हिंदी विश्वविद्यालय आयोजित करेगा। यह पहला अवसर है, जब किसी विश्वविद्यालय द्वारा दीक्षांत समारोह के लिए नियत गाउन और टोपी का उपयोग नहीं किया जायेगा।
नवाचार से जुड़े इस निर्णय को विश्वविद्यालयों को प्राप्त स्वायत्त्ता संबंधी अधिकारों के इस्तेमाल से जोड़कर देखा जा रहा है। उच्चशिक्षा मंत्री जयभान सिंह पवैया की मंशा के बाद जहां शासन से प्राप्त निर्देशों की प्रतीक्षा में है, वही हिंदी विश्वविद्यालय कार्यपरिषद में निर्णय कर इसका परिपालन करने जा रहा है। कुलपति प्रो. मोहनलाल छीपा का कहना है कि विश्वविद्यालय के साधारण कार्य परिषद के अध्यक्ष मुख्यमंत्री है। मुख्यमंत्री की अध्यक्षता में हुई बैठक में परिधान संबंधी निर्णय ले लिया गया है। यहां बता दें कि विवि अपने प्रथम दीक्षांत समारोह में विभिन्न संकायों के लगभग 126 विद्यर्थियों को उपाधि प्रदान करने जा रहा ह। दीक्षांत समारोह 18 अप्रैल को विधानसभा के मानसरोवर हाल में आयोजित किया गया है। कुलाधिपति प्रो. ओम प्रकाश कोहली की अध्यक्षता में 11 बजे से हो रहे इस कार्यक्रम में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान मुख्य अतिथि होंगे। विधानसभा अध्यक्ष डॉ सीताशरण शर्मा के विशिष्ट आतिथ्य में उच्च शिक्षा मंत्री जयभान सिंह पवैया दीक्षांत भाषण देंगे।
धोती कुर्ता में पुरुष तो साड़ी ब्लाउज में नजर आएंगी महिलाएं
विश्वविद्यालय के केसरिया रंग में बने प्रतीक चिन्ह के साथ पीले रंग का चुनरी पगड़ी समान रूप से निर्धारित की है। पुरुष जहां सफेद रंग के धोती-कुर्ता में नजर आएंगे, वहीं महिला वर्ग केसरिया बॉर्डर में क्रीम रंग की साड़ी के साथ केसरिया ब्लाउज में रहेगा।
इधर,विवि 6 माह बाद भी दीक्षांत समारोह के लिए परिधान पर सहमति नहीं बना पाए है। बीते वर्ष अक्टूबर में ग्वालियर में आयोजित हुई कुलपतियों की बैठक में इस संबंध में दिशा निर्देश दिए गए थे। इसमें उच्च शिक्षा मंत्री ने कहा था कि एक महीने में साझा मसौदा तैयार कर ऐसी भारतीय वेशभूषा तय करें, जो सर्वमान्य हो और उसमें भारतीयता झलके। राज्यपाल की मंजूरी के बाद अगले शिक्षा सत्र से दीक्षांत समारोह में शामिल होने वाले छात्रों और गणमान्य के लिए भारतीय वेशभूषा लागू कर दी जाए।