भोपाल,(रमेश ठाकुर द्वारा) राजधानी में बीएस-3 के दो-पहिया और चार-पहिया वाहनों को प्रतिबंध के बावजूद बिना किसी भय के बेचा जा रहा है। सर्वोच्च न्यायालय के आदेश पर पूरे देश में बीएस-3 के दो-पहिया और चार-पहिया वाहनों के विक्रय पर गत 31 मार्च के बाद प्रतिबंध लागू हो गया है, लेकिन इस के बाद भी इन वाहनों की बिक्री हो रही है। गौरतलब है कि वाहन निर्माता कम्पनियों को 31 मार्च 2017 तक इन वाहनों को बेचे जाने की छूट दी गई थी, ताकि बाजार में उपलब्ध वाहन बेच सकें। इस छूट के तहत बड़े पैमाने पर वाहनों की पूरे देष में बिक्री हुई, लेकिन अब इन वाहनों को किसी भी स्थिति में बेचा नहीं जा सकता है।
सड़कों पर फर्राटे से दौड़ने वाले वाहनों से होने वाले प्रदूषण को कम करने की दिषा में यह कदम उठाया गया है, लेकिन लगता है अधिक से अधिक लाभ प्राप्त करने की होड़ में सारे मापदण्डों को तोड़ने में किसी को कोई संकोच नहीं रहा है।
यही कारण है कि तमाम वाहन निर्माता कम्पनियों के षोरूम से 30 एवं 31 मार्च को वाहनों की कीमतों में रियायत देकर वाहनों का बेचा गया।
बात यहीं समाप्त नहीं होती, इस तिथि के बाद भी वाहनों को बेचा जारहा है। सवाल यह है कि ऐसा कैसे हो रहा है, इसका जवाब यह है कि तकनीकी कारणों की आड़ में यह वाहन बेचे जारहे हैं। दरअसल सर्वोच्च न्यायालय के निर्देश के तहत 31 मार्च तक बेचे गए वाहनों के ही क्षेत्रीय परिवहन कार्यालय में पंजयीन होंगे, इस कारण वाहन बेचने वाले डीलरों के लिए बाध्यता थी कि वे वाहनों के पंजीयन एवं बीमे की राशि अंतिम तिथि समाप्त होने तक जमा करें।
कई ने ऐसा किया भी, लेकिन अधिक लाभ के लालच में कई ने यह भी कहा कि परिवहन विभाग की वेबसाइट का सर्वर डाउन होने के कारण वे पैसा जमा नहीं कर सके। यह कितना सही या गलत है कुछ कह नहीं सकते। पर यह सच है कि सर्वर डाउन होने का बहाना बना कर कई ने पिछली तारीखों में वाहन बेचने का दुस्सहास किया है और 31 मार्च के पहले की छूट का लालच देकर अभी भी वाहन बेच रहे हैं।