नई दिल्ली, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने नए साल के पहले ही दिन साक्षात्कार देकर देश की सियासत में गर्मी ला दी है। प्रधानमंत्री मोदी ने अपने साक्षात्कार में संकेत दे दिया है कि अगले कुछ महीनों में होने वाले आम चुनाव में भाजपा किस तरह चुनाव मैदान में उतरने वाली है। विपक्षी दलों द्वारा महागठबंधन के रूप में एकजुट होने की कोशिशों के बीच भाजपा की चुनौती बढ़ गई है। यही वजह है कि एक बार फिर उन्होंने चुनाव को अपने ही आसपास रखने की योजना बनाई है। इस योजना के तहत पहले चरण में प्रधानमंत्री मोदी पूरे देश में 100 रैलियां करने वाले हैं। अपने इस देश व्यापी अभियान की शुरूआत वह चार जनवरी को उड़ीसा में रैली से करेंगे।
इस साक्षात्कार से स्पष्ट हो गया कि अगले आम चुनाव से पहले प्रधानमंत्री मोदी आक्रामक चुनाव-प्रचार अभियान की शुरुआत करने वाले हैं। राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ (आरएसएस) और भाजपा नेताओं के बढ़ते दबाव और कोर समर्थकों की मांगों के बावजूद प्रधानमंत्री मोदी का यह संकेत देना कि वह राम मंदिर पर फैसले के लिए कानूनी प्रक्रिया पूरी होने का इंतजार करेंगे, यह उनका रणनीतिक कदम हो सकता है।
सन 2014 में प्रधानमंत्री मोदी ने हिंदुत्व के उभार के बीच युवा और अपेक्षाओं वाली पीढ़ी और मध्यम वर्ग के पूरे तबके के मतों के सहारे ऐतिहासिक जीत हासिल की थी। अब राम मंदिर पर नए सिरे से उठे आंदोलन के बीच भाजपा की चिंता है कि यह तबका जरूरी मुद्दों के बीच राम मंदिर मुद्दे पर शायद ही वोट करे। ऐसे में उन्हें जोड़कर रखने के लिए प्रधानमंत्री मोदी ने इस मुद्दे पर अपना स्टैंड नरम रखा है। कहीं न कहीं पीएम मोदी को लगता है कि राम मंदिर से जुड़े कोर वोटर से अधिक नए और युवा वोटरों को साथ जोड़े रखना ज्यादा बड़ी चुनौती है। हालांकि मोदी के बयान के बाद अब संघ और कट्टर हिंदू राजनीति करने वाले लोग क्या रुख अपनाते हैं, यह देखना दिलचस्प होगा। हालांकि उरी हमला और सर्जिकल स्ट्राइक पर विस्तार से बात कर उन्होंने यह भी जता दिया कि वह राष्ट्रवाद को उभारने पर भी जोर लगाएंगे।
प्रधानमंत्री ने साफ संकेत दिया कि वह आम चुनाव में पिछले 70 सालों की नाकामी और अपने पांच साल के कामकाज में आए बदलाव की तुलना कर जनता के बीच जा सकते हैं। इसके बीच गांधी परिवार को नाकामी का प्रतीक बताकर उन पर हमलावर रहेंगे। मालूम हो कि हाल के दिनों में तमाम सर्वे में राहुल गांधी की लोकप्रियता बढ़ती दिखाई गई है। ऐसे में पीएम और भाजपा को लगता है कि अगर ब्रैंड राहुल को उभरने से रोक लिया गया तो उन्हें बड़ी राहत मिल जाएगी। ऐसी चर्चाएं थीं कि मोदी सरकार तीन राज्यों में हार के बाद कर्जमाफी या तेलंगाना मॉडल पर कोई आर्थिक सौगात किसानों को दे सकती है, मगर मोदी ने अपने ताजा इंटरव्यू में इस बात के ठोस संकेत नहीं दिए। उन्होंने कर्जमाफी को किसानों की समस्या को दूर करने का प्रभावी कदम मानने से इनकार किया।
पीएम ने इस साक्षात्कार के माध्यम से अपने लोकसभा चुनाव प्रचार का आगाज कर दिया है। सूत्रों के अनुसार प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 2014 की तरह इस बार भी अपने इर्द-गिर्द ही चुनाव प्रचार को केंद्रित करेंगे। वह इस चुनाव को एक बार फिर प्रेजिडेंशल अंदाज में ले जाने की कोशिश कर रहे हैं जिसमें उनकी थीम मोदी बनाम सभी रहेगी। दरअसल, इस बार विपक्षी दलों के एक मंच पर आने के बाद भाजपा और मोदी की चुनौती बढ़ गई है, जिस कारण वह चुनाव को अपने इर्द-गिर्द रखने की कोशिश कर रहे हैं। इसके तहत प्रधानमंत्री मोदी पहले चरण में पूरे देश में 100 रैलियां करने वाले हैं। इसकी शुरुआत 4 जनवरी को ओडिशा की रैली से होगी। सूत्रों के अनुसार जनवरी में पीएम की डेढ़ दर्जन से अधिक रैली और एक संवाद का कार्यक्रम होना है। पीएम 24 को प्रयागराज जाएंगे, जहां कुंभ में कई देशों के प्रतिनिधि भी पहुंच रहे हैं।