नई दिल्ली, जमीन जायदाद क्षेत्र में साल 2018 में सुधार का संकेत और किफायती फ्लैटों की मांग और कीमतों के स्थिर रहने से मकानों की बिक्री में करीब 50 प्रतिशत की बढ़ोतरी देखी गई। हालांकि, साल के अंत में नकदी संकट की वजह से मजबूत वृद्धि की संभावना कमजोर हुई। इसके साथ ही घर खरीदारों के लिए घर मिलने में होने वाली देरी अभी भी चिंता का विषय बना हुआ है। नोटबंदी, जीएसटी और सख्त नियमों (रेरा कानून) की तिहरी मार के बाद भी रीयल एस्टेट में आया सुधार काफी मायने रखता है।
वहीं प्रॉपर्टी डीलरों और कंसलटेंट को आशंका है कि आगामी आम चुनावों और गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियों की नकदी संकट के चलते घर बिक्री में 2019 की पहली छमाही में सुस्ती आ सकती है। हालांकि, यदि निर्माणाधीन फ्लैटों पर जीएसटी की दरें 12 प्रतिशत से घटाकर कम करने की अनुमति दी जाती है तो दूसरी छमाही में बिक्री में तेजी आ सकती है। इसके अलावा, एनबीएफसी की नकदी स्थिति में सुधार भी जरूरी है क्योंकि ये कंपनियां बड़े पैमाने पर रीयल एस्टेट क्षेत्र का वित्तपोषण करती हैं।
रीयल एस्टेट के लिए मूलमंत्र बना किफायती घर
किफायती घर रीयल एस्टेट के लिये मूलमंत्र बन गया है, इसने 2017 में निम्नतम स्तर पर पहुंच चुके रीयल एस्टेट क्षेत्र को धीरे-धीरे सुधरने में मदद की। नोटबंदी, जीएसटी और रेरा के कारण क्षेत्र बुरी तरह से प्रभावित हुआ था। इंडिया के मुताबिक, 2018 में 7 प्रमुख शहरों में आवास बिक्री 47 प्रतिशत बढ़ने का अनुमान जताया गया है। इसके साथ ही एनारॉक ने सात शहरों में 16 प्रतिशत और प्रोपटाइगर ने नौ शहरों में घरों की बिक्री में 25 प्रतिशत वृद्धि की उम्मीद जाहिर की है। एनारॉक के चेयरमैन अनुज पुरी ने कहा कि सभी श्रेणियों में सुधार के संकेतों के बावजूद 2018 रीयल एस्टेट के लिए ‘रोलर कोस्टर सवारी’ अर्थात् उतार-चढ़ाव भरा रहा, हालांकि नकदी संकट ने सभी संबद्ध पक्षों को चिंतित किया।