नई दिल्ली,देश के सर्वोच्च न्यायालय के फैसले के बाद भी राफेल पर घमासान जारी है। डील की जांच की मांग वाली सभी याचिकाएं खारिज होने के बाद कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने कोर्ट के फैसले को ही आधार बनाकर सरकार को कठघरे में खड़ा किया है। गांधी ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि पीएसी (पब्लिक अकाउंट कमेटी या लोक लेखा समिति) को कैग (कॉम्पट्रोलर एंड ऑडिटर जनरल) की रिपोर्ट दी गई, जबकि पीएसी को कोई रिपोर्ट मिली ही नहीं है। कांग्रेस अध्यक्ष ने केंद्र सरकार से पूछा है कि कैग की रिपोर्ट कहां है, जिसका जिक्र सुप्रीम कोर्ट में किया गया है। वहीं, सूत्रों ने बताया कि कैग की रिपोर्ट को अभी अंतिम रूप दिया जाना बाकी है और जनवरी के आखिर तक यह पूरी हो सकती है।
क्या सुप्रीम कोर्ट के फैसले में टाइपो एरर है? पढ़कर ऐसा ही लगता है। फैसले में पेज नंबर 21 में कोर्ट ने कहा है कि सरकार ने कैग के साथ राफेल की कीमतों का विवरण साझा किया है और कैग अपनी रिपोर्ट को पहले ही अंतिम रूप दे चुके हैं और उसे संसद की लोक लेखा समिति से साझा किया जा चुका है। सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में कहा है, कीमत से जुड़े विवरण कंट्रोलर एंड ऑडिटर जनरल से साझा किए जा चुके हैं और कैग की रिपोर्ट की जांच-परख पीएसी कर चुकी है।
कैग और पीएसी दोनों से जुड़े सूत्रों का कहना है कि जांच-परख जारी रहने की वजह से कैग ने राफेल डील पर अपनी रिपोर्ट अभी दाखिल नहीं की है। न्यायिक प्रक्रियाओं की समझ रखने वाले विशेषज्ञों का कहना है कि कोर्ट अपने फैसले में टाइपो संबंधी गलती का सुधार कर सकता है, बशर्ते कि कोई बेंच के सामने इसका जिक्र करे। सूत्रों ने बताया कि कैग की रिपोर्ट जनवरी के आखिर तक पूरी होने की उम्मीद है और इसमें कई दूसरे रक्षा सौदों का भी जिक्र हो सकता है। डिफेंस एक्विजिशंस पर विस्तृत रिपोर्ट के एक चैप्टर में राफेल डील को लेकर ऑडिटर की राय का निचोड़ रखे जाने की संभावना है।
एक बार जब कैग अपनी रिपोर्ट को दाखिल कर देगी, उसके बाद सरकार यह तय करेगी कि उसे किस तारीख और किस समय संसद के पटल पर रखा जाए। कभी-कभी इसमें महीनों तक की देरी होती है। संसद में कैग रिपोर्ट रखे जाने के बाद इसे पब्लिक अकाउंट्स कमेटी (पीएसी) के सामने भेजा जाता है। पीएसी का प्रमुख सत्ताधारी दल के सदस्य के बजाय विपक्षी दल का सदस्य होता है। अभी कांग्रेस नेता मल्लिकार्जुन खड़गे पीएसी के चेयरमैन हैं। कैग पिछले साल से ही राफेल डील का ऑडिट कर रहा है। इसमें फाइटर जेट्स की कीमत, प्रतिस्पर्धियों की बोलियों और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मौजूद दूसरे फाइटर जेट्स की कीमतों से इसकी तुलना जैसी बातें शामिल हैं।
राफेल पर घमासान, क्या SC के फैसले में है टाइपो एरर?
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