20 मिनट दौड़ें, दिमागी-शारीरिक थकान होगी छूमंतर

लंदन, टेक्सास साउथवेस्टर्न विश्वविद्यालय के एक नए शोध में दावा किया गया है कि अगर आपने 20 मिनट ट्रेडमिल पर दौड़ लगा ली है तो यकीन मानिए दिलो-दिमाग एकदम तरोताजा हो जाएगा और दिमागी व शारीरिक थकान छूमंतर हो जाएगी। एक दिन में इस तरह से कसरत करने से आपको दो दिन तक असर दिखेगा। हालांकि अगर रोज करेंगे तो हमेशा के लिए ये समस्याएं दूर हो जाएंगी। शोधकर्ताओं ने अपने अध्ययन में पाया कि अगर 20 मिनट भी ट्रेडमिल पर दौड़ते हैं तो तंत्रिका तंत्र सक्रिय हो जाता है। यह खून में ग्लूकोज के स्तर को ठीक करता है और ऊर्जा देता है। इसके साथ ही दो दिनों तक चयापचय भी ठीक करता है। टेक्सास साउथवेस्टर्न विश्वविद्यालय के शोध में चूहों पर हुए अध्ययन में पाया गया कि 20 मिनट के ट्रेडमिल पर दौड़ने वाली कसरत का एक सत्र करने के बाद चूहों का तंत्रिका तंत्र सक्रिय हो गया। इसके साथ ही ब्लड ग्लूकोज का स्तर भी ठीक हो गया और ऊर्जा का संतुलन बनाने, दो दिनों तक चयापचय को प्रभावित करने में इसने खास भूमिका निभाई। अध्ययन के नतीजों से पता चला है कि व्यायाम का एक सत्र भी चूहे की तंत्रिका संबंधी गतिविधियों को बढ़ावा दे सकता है। ये बदलाव अधिक प्रशिक्षण के साथ लंबे समय तक चल सकते हैं। टेक्सास साउथवेस्टर्न विश्वविद्यालय के एक न्यूरोसाइंटिस्ट केविन विलियम्स ने कहा, ‘इन न्यूरॉन्स की गतिविधि में बदलाव करने के लिए ज्यादा व्यायाम की जरूरत नहीं पड़ती है।’ अध्ययन से पता चलता है कि तेज गति से व्यायाम करके आप खून में ग्लूकोज का स्तर और चयापचय की क्रिया ठीक कर सकते हैं। इससे हमारा दिल ही नहीं, दिमाग भी तरोताजा और दुरुस्त रहता है। इसके अलावा, 20 मिनट की ट्रेडमिल कसरत में भूख में कमी आई, जो छह घंटे तक चली। विलियम्स ने कहा, ‘यह नतीजा तंत्रिका सर्किट स्तर पर समझा जा सकता है कि अभ्यास के तुरंत बाद बहुत से लोगों को भूख नहीं लगती है। विलियम्स ने कहा, ‘यह शोध सिर्फ फिटनेस में सुधार के लिए ही नहीं है, बल्कि कसरत किस तरह से तंत्रिका तंत्र को प्रभावित करती है, जिससे ग्लूकोज का स्तर ठीक हो जाता है, इसे समझने में मदद मिलेगी।यह अध्ययन मधुमेह के रोगियों में रक्त ग्लूकोज के स्तर और चयापचय क्रिया को बेहतर बनाने के लिए संभावित उपचारों का पता लगाने में मदद करेगा। मेलेनोकार्टिन न्यूरॉन्स को सक्रिय करने से एक दिन रोगियों को चिकित्सकीय लाभ हो सकते हैं, खासतौर से मधुमेह के रोगियों में जिन्हें रक्त-ग्लूकोज के स्तर में सुधार की जरूरत होती है।’

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