जयपुर, राजस्थान विधानसभा चुनाव की कवायद के बीच कई मिथक सामने आ रहे है विधानसभा अध्यक्ष को लेकर मिथक है कि आज तक जितने भी विधानसभा अध्यक्ष बने है वो अगली बार चुनाव जीतकर नहीं आए है। यह सिलसिला वर्ष 1993 से चल रहा है जो भी विधायक विधानसभा अध्यक्ष बना उसको फिर से विधानसभा जाने का मौका नहीं मिला। इसमें चाहे फिर विधायक का टिकट कटा हो या फिर हार का मुंह देखना पडा हो या फिर चुनाव ही नहीं लडा हो। सबसे पहला नाम उस समय के विधानसभा अध्यक्ष शांतिलाल चपलोत का आता है। चपलोत 1993 से 1998 में विधानसभाअध्यक्ष थे लेकिन 1998 के चुनाव में जीत नहीं पाए। वर्ष 1998 में विधानसभा अध्यक्ष परसराम मदेरणा बने, लेकिन मदेरणा ने साल 2003 में चुनाव ही नहीं लडा। उनके बाद सुमित्रा सिंह विधानसभा अध्यक्ष बनी लेकिन वो अगला चुनाव हार गई। साल 2008 में विधानसभा अध्यक्ष बने दीपेन्द्र सिंह शेखावत वो भी 2013 में विधानसभा तक नहीं पहुंच पाए। फिलहाल राजस्थान विधानसभा अध्यक्ष दीपेन्द्र सिंह शेखावत और कैलाश चंद मेघवाल चुनाव लड रहे है भाजपा ने मेघवाल पर फिर से विश्वास जताया है तो दूसरी तरफ पिछला चुनाव हार चुके दीपेन्द्र सिंह को भी कांग्रेस ने श्रीमोधापुर से मैदान में उतारा है अब यह देखना दिलचस्प होगा कि जो मिथन विधानसभा अध्यक्ष को लेकर चला आ रहा है वह इस बार भी टूटेगा या बना रहेगा।