शिवराज सरकार ने 41 लाख हेक्टेयर में की कागजी सिंचाई

भोपाल,कांग्रेस पार्टी की राष्ट्रीय प्रवक्ता श्रीमती प्रियंका चतुर्वेदी, प्रदेश मीडिया विभाग की अध्यक्ष शोभा ओझा एवं उपाध्यक्ष भूपेंद्र गुप्ता ने संयुक्त प्रेस वार्ता कहा कि, मध्य प्रदेश सरकार का 15 साल का इतिहास झूठ भ्रष्टाचार और बदनीयत से प्रदेश के विकास के आंकड़ों में हेरफेर का इतिहास रहा है। पहली बार देश में किसी सरकार ने अपनी वास्तविक सांख्यिकी से खिलवाड़ करते हुए अपनी ही जनता को भ्रमित कर कागजी योजनाओं के माध्यम से लूट का साधन बनाया है।
सबसे बड़ा सवाल-‘‘कहाँ गया माल’’:-
प्रदेश की जनता यह जानना चाहती है कि मुख्यमंत्री जी यह बताएं की 41 लाख हेक्टेयर की सिंचाई क्षमता की योजनाये उन्होंने बतायीं हैं लेकिन सिंचाई विभाग के तथ्यों के आधार पर कुल 24.62 लाख हेक्टेयर ही निर्माण हुयी हैं तो बाकी 16 लाख हेक्टेयर सिंचाई की योजनायें कहाँ गयीं? उन योजनाओं के नाम क्या हैं और इन योजनाओं पर संभावित मानक खर्च 4 लाख प्रति हेक्टेयर के प्रचलित हिसाब से जो 64 हजार करोड़ होता है, किन लोगों की जेब में चला गया? क्या प्रदेश के विकास के झूठे आंकड़े केवल जनता के धन की बर्बादी और लूट के लिए गड़े जाते हैं क्या झूठे और कागजी आंकड़ों के आधार पर भविष्य की योजनाओं का निर्माण अपराध नहीं है?
हमने पहले भी आपको बताया था कि किस तरह झूठी कृषि की बढ़ोत्तरी दिखाई गयी। उसी तरह सिंचाई के झूठे आंकड़ों के साथ योजनाओं के नाम पर लगभग 60 हजार करोड़ से अधिक की हेराफेरी की जाना संभावित है। अनुमानों से इतर यह आंकड़ा और भी ज्यादा हो सकता है।
मध्यप्रदेश के मारीच मामा जी प्रतिदिन मध्य प्रदेश की शासकीय स्रोतों से सिंचाई 41 लाख हेक्टेयर में होना बताते हैं। साथ में वे यह भी बताते हैं कि कांग्रेस ने तो केवल 7.5 लाख हेक्टेयर सिंचाई सुविधा पैदा की थी। ये आंकड़े 2002-03 के हैं जबकि दिग्विजय सिंह सरकार 2003-04 में 9,47,302 हेक्टेयर में सिंचाई क्षमता तैयार कर चुकी थी तथा 1,27,210 हेक्टेयर शासकीय तालाबों से यानि कुल 10,74,512 हेक्टेयर में सिंचाई हो रही थी। ये वास्तविक आंकड़े हैं जिसे ब्स्त् के खातों से मिलान किया जा सकता है। ब्स्त् यानि कमिश्नर ऑफ लैंड रिकार्ड का रिकार्ड ही सिंचाई या अन्य विकास योजनाओं का वस्ताविक रिकार्ड होता है। वर्ष 2017-18 में ब्स्त् के रिकार्ड के अनुसार 17,89,074 हेक्टेयर शासकीय नहरों से एवं 2,64,690 हेक्टेयर शासकीय तालाबों से यानि कुल 20,53,764 हेक्टेयर सिंचाई हो रही है। जबकि स्वयं मुख्यमंत्री इसे 41 लाख हेक्टेयर बता रहे हैं। तब सवाल यह उठता है की फिर बाकी सिंचाई कहाँ गायब हो गयी?

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