मुंबई,हाल ही में रिलीज हुई फिल्म ‘पीहू’ दर्शकों को सिनेमाघरों तक लाने में सफल रही है। इस फिल्म को समीक्षकों से भी पॉजिटिव प्रतिक्रिया मिली है। ऐसे में फिल्म निर्देशक विनोद कापड़ी का कहना है कि फिल्म पीहू को बनाने में अनेक मुश्किलों का सामना करना पड़ा है। सबसे बड़ी बात तो यह रही कि पीहू जैसी बच्ची को तलाशना और उसे उसके जैसी बनाने में जीतोड़ मेहनत करना। बहरहाल फिल्म बनी और रिलीज भी हो गई लेकिन खास बात यह रही कि इस फिल्म ने अनेक राष्ट्रीय-अंतरराष्ट्रीय फिल्म महोत्सवों में प्रशंसा पाई और देखते ही देखते दर्शकों की पसंद बन गई। इसे देखते हुए फिल्म निर्देशक कापड़ी काफी खुश नजर आए हैं, इस खुशी के मौके पर वो पीहू बनाने से जुड़ी कहानी भी लोगों से साझा करते हैं। जो बातें वो करते देखे जाते हैं वह सुनने में अजीब लगती हैं, लेकिन उन्होंने बताया कि उनके घर में एक डॉगी है। कभी-कभी जब वो उसे छोड़कर एकाध घंटे के लिए मार्केट जाया करते तो उस दौरान उन्हें कई बार यह खयाल आता था कि वह बेजुबान घर पर अकेले क्या करता होगा? उन्होंने कहानी की तरह इसे आगे बढ़ाते हुए कहा कि ‘वहीं, मेरे एक मित्र हैं, जो अपने बच्चों को नैनी के आसरे छोड़कर जॉब करते हैं। उस समय आपको यह मालूम नहीं होता है कि क्या पता नैनी सब्जी खरीदने के लिए घर पर ताला लगाकर अंदर बच्चों को छोड़ बाजार जाती होगी। ऐसा मैंने कई बार देखा-सुना गया है कि लोग नैनी को लेकर शिकायत करते रहते। यह स्टोरी लाइन मेरे दिल ओ दिमाग में थी, लेकिन इसे डेव्लप कैसे करूं, यह समझ नहीं आ रहा था। इसी बीच, अखबार में मैंने एक खबर पढ़ी कि दिल्ली में एक पांच साल का बच्चा ऐसे ही हालात में घर पर फंस गया था। उस घटना ने मुझे कहानी लिखने पर प्रेरित किया और यहीं से फिल्म की स्टोरी ‘पीहू’ की शुरुआत भी हुई।’ बहरहाल फिल्म बनी और दर्शकों को भी पसंद आई है, इसलिए इससे संबंधित और भी कहानियां निकल कर बाहर आएं तो आश्चर्य नहीं होगा।
फिल्म महोत्सवों में छाई ‘पीहू’ आखिर कैसे आई
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