कानपुर,उत्तर प्रदेश के कानपुर देहात जिले के पुखरायां में 10,000 से भी अधिक दलितों ने रावण की पूजा करने के बाद भारतीय जनता पार्टी की सांसद सावित्री बाई फुले की मौजूदगी में बौद्ध धर्म अपना लिया। हालांकि, जिला प्रशासन ने इस समाचार का खंडन किया है। मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार 12 बौद्ध भिक्षुओं की मौजूदगी में धर्म परिवर्तन कराया गया। पुखरायां के कृषि मंडी समिति ग्राउंड में आंबेडकर बौद्ध दीक्षा समारोह का आयोजन किया गया। इस मौके पर ‘कटे क्लेश, जय लंकेश’ के नारे लगाए गए। इस बारे में जब फुले से सवाल किया गया तो उन्होंने कहा कि वह समारोह में इसलिए गई थीं क्योंकि बौद्ध धर्म में सम्मान और समानता की संभावना होता है।
उन्होंने कहा कि वे लोग पूरे भारत को बुद्धमई और सम्राट अशोकमई बना देंगे और देश में जारी मनुवादी व्यवस्था को खत्म कर देंगे। उन्होंने कहा कि जिन लोगों ने देश में जातिवाद का जहर घोला है, उन्हें वे लोग साफ कर देंगे। कार्यक्रम के आयोजक धानी राव ने बताया कि समारोह रावण, गौतम बुद्ध, सम्राट अशोक और बाबा साहेब आंबेडकर के लिए रखा गया था, जिन्होंने जातिगत भेदभाव के खिलाफ लड़ाई लड़ी थी।
धानी ने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ पर निशाना साधते हुए कहा कि समाज में भेदभाव की ऐसी बुराई बसी है कि हमारे मुख्यमंत्री ने भी पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव के बंगले को शुद्ध करने के बाद उसमें प्रवेश किया। उन्होंने दावा किया कि पिछले सालों की तरह पिछड़ी जातियों और दलितों से करीब 10000 लोगों ने बौद्ध धर्म अपनाया। इससे पहले गांववालों से रावण का पुतला न जलाने की अपील की गई। इसे उनके भगवान का अपमान बताया गया। राव ने बताया कि रावण बौद्ध स्कॉलर था और उसकी पूजा होनी चाहिए। उन्होंने बताया कि हर साल यह समारोह रखा जाता है कि ताकि रावण के त्याग के साथ भगवान बुद्ध, सम्राट अशोक और बाबा साहेब को आने वाली पीढ़ियां याद रखें।