नई दिल्ली, भारत में सक्रिय आईएस के एक आतंकी मॉड्यूल द्वारा
पहले इंदौर-पटना के बेपटरी होने और फिर भोपाल-उज्जैन पैसेंजर ट्रेन में धमाके के बाद जांच एजेंसिंया इस शक को पुख्ता करने में जुट गई हैं कि कहीं इसमें एनजीओ की भूमिका तो नहीं है। धमाके की आंच कानपुर के सत्य संदेश फाउंडेशन पर आ रही है, एजेंसिंयां इस बात की पड़ताल कर रही हैं कि कहीं धार्मिक शिक्षा से जुड़े संगठन युवाओं को बहला-फुसला कर उनसे गलत काम तो नहीं करा रहे हैं। एनआईए को शक है कि यह लोग आईएस के लिए काम कर सकते हैं। उसकी जांच की सुई एहसान नाम के एक शख्स तक पहुंची है जिससे आईएस जैसी जहरीली विचारधारा वाले संगठनों इनका कनेक्शन समझ में आ रहा है।
जिसके बाद एनआईए ने कानपुर रेल हादसे की भी इसी कोण से जांच शुरू कर दी है। उसे ये महसूस हुआ है कि कहीं उसके घटना स्थल पर जल्दी पहुंचने के पीछे संलिप्तता सरीखी वजह तो नहीं थी। इसमें सत्य संदेश फाउंडेशन के लोग किस तरह इतनी जल्दी पहुंच पाए। इसके पीछे एहसान के एक बैठक में शामिल होने का मामला सामने आना है, वह जहां गया था वह जगह आमिर आतिफ मुजफ्फर की है।