(नवरात्रि विशेष) भोपाल,सृष्टिस्थितिविनाशानां शक्तिभूते सनातनि। गुणाश्रये गुणमये स्कन्दमाता नमोस्तु ते।। छान्दोग्य श्रुति के अनुसार भगवती की शक्ति से उत्पन्न सनतकुमार का एक अन्य नाम स्कन्द भी है।
भगवान स्कन्द की माता होने के कारण देवी स्कन्द माता के नाम से जानी जाती हैं दुर्गा पूजा के पांचवे दिन देवताओं के सेनापति कुमार कार्तिकेय की माता की पूजा होती है। कुमार कार्तिकेय को ग्रंथों में सनतकुमार, स्कन्द कुमार के नाम से पुकारा गया है। माता इस रूप में पूर्णतः ममता लुटाती हुई ऩजर आती हैं। माता का पांचवा रूप शुभ्र अर्थात स्वेत है। माता की चार भुजाएं हैं और ये कमल आसन पर विराजमान हैं। जब अत्याचारी दानवों का अत्याचार बढ़ता है तब माता संत जनों की रक्षा के लिए सिंह पर सवार होकर दुष्टों का अंत करती हैं। देवी रकन्दमाता की चार भुजाएं हैं, माता अपने दो हाथों में कमल का फूल धारण करती हैं और एक साथ से सहारा देकर अपनी गोद में कुमार कार्तिकेय को लिये बैठी हैं। मां का चौथा हाथ भक्तो को आशीर्वाद देने की मुद्रा मे है।
देवी स्कन्द माता ही हिमालय की पुत्री पार्वती है इन्हें ही माहेश्वरी और गौरी के नाम से जाना जाता है। यह देवी पर्वत की पुत्री होने से पार्वती कहलाती हैं, महादेव की वामिनी यानी पत्नी होने से माहेश्वरी कहलाती हैं और अपने गौर वर्ण के कारण देवी गौरी के नाम से पूजित होती हैं। माता को अपने पुत्र से अधिक प्रेम होता है अतऱ मां को अपने पुत्र के नाम के साथ सम्बोधित किया जाना अच्छा लगता है। जो भक्त माता के इस स्वरूप की पूजा करते है मां उस पर अपने पुत्र के समान नेह लुटाती है। कुण्डलिनी जागरण के उद्देश्य से जो साधक दुर्गा मां की उपासना कर रहे हैं उनके लिए दुर्गा पूजा का यह दिन विशुद्ध च की साधना का होता है। इस च का भेदन करने के लिए साधक को पहले मां की विधि सहित पूजा करनी चाहिए। पूजा के लिए कुश अथवा कम्बल के पवित्र आसन पर बैठकर पूजा प्रया उसी प्रकार से शुरू करना चाहिए जैसे आपने अबतक के चार दिनों में किया है फिर इस मंत्र से देवी की प्रार्थना करनी चाहिए सिंहासनगता नित्यं पद्माश्रितकरद्वया। शुभदास्तु सदा देवी स्कन्दमाता यशस्विनी।। अब आप पंचोपचार विधि से देवी स्कन्दमाता की पूजा कीजिए। देवी की पूजा के पश्चात शिव शंकर और ब्रह्मा जी की पूजा करनी चाहिए यही शास्त्रोक्त नियम है।
नवरात्रे की पंचमी तिथि को कहीं कहीं भक्त जन उद्यंग ललिता का व्रत भी रखते हैं इस व्रत को फलदायक कहा गया है। जो भक्त देवी स्कन्द माता की भक्ति-भाव सहित पूजन करते हैं उसे देवी की कृपा प्राप्त होती है। देवी की कृपा से भक्त की मुराद पूरी होती है और घर में सुख, शांति एवं समृद्धि रहती है।
(अमित व्यास द्वारा )