सोमनाथ से विश्वनाथ अब क्या 2019 में मोदी काशी से नहीं पुरी से चुनाव लड़ेंगे ?

भुवनेश्वर,यूपी की धरा काशी की जगह इस बार पीएम मोदी के भगवान जगन्नाथ के धाम पुरी से चुनाव लड़ने के आसार हैं. पीएम सोमनाथ (गुजरात) की धरती से आए और काशी विश्वनाथ (बनारस) से जीतकर पीएम बने अगर पीएम मोदी ओडिशा बीजेपी के सुझावों को मानेंगे तो वह नरसिम्हा राव के बाद दूसरे सिटिंग पीएम होंगे जो भारत के इस पूर्वी प्रदेश से चुनाव लड़ सकते है। पूर्व पीएम नरसिम्हा राव ने 1996 में पीएम रहते हुए ऐसा किया था।
राव ने ओडिशा के बरहामपुर सीट से 62.5 फीसदी वोट पाते हुए बड़े अंतरों से चुनाव जीता था। नरसिम्हा राव इसके अलावा आंध्रप्रदेश की नंदयाल सीट से भी जीते थे। उन्होंने बरहामपुर सीट ही अपने पास रखी। हालांकि किसी दल को बहुमत नहीं मिलने की स्थिति में बतौर पीएम उनकी वापसी नहीं हो पाई और वाजपेयी के नेतृत्व में बीजेपी कम समय के लिए ही सरकार बनाने में सफल हुई थी। ऐसा माना जा रहा है कि पुरी से मोदी के उतरने से बीजेपी पूर्वी भारत को लेकर चल रही अपनी रणनीति को और मजबूती दे पाएगी। अब पीएम मोदी के पुरी से चुनाव लड़ने की खबरें जब उठी हैं, तो बीजेपी इस लेकर ग्राउंड वर्क में भी जुटी दिख रही है।
ऐसा हुआ तो ‘राइट सिग्नल’ देंगे मोदी
इधर,रविवार को ओडिशा बीजेपी की स्टेट एग्जिक्युटिव की बैठक हुई। इसमें केंद्रीय मंत्री धर्मेंद्र प्रधान और स्मृति इरानी भी शामिल हुए। बीजेपी सूत्रों ने बताया कि इसमें राज्य के राजनीतिक हालात के साथ-साथ मोदी के पुरी से लड़ने की संभावनाओं पर भी चर्चा हुई। बीजेपी के आंतरिक मामलों के जानकारों का मानना है कि सोमनाथ की धरती से आकर काशी विश्वनाथ की धरती का प्रतिनिधित्व करने वाले मोदी अगर जगन्नाथ धाम (पुरी) से लड़ते हैं तो यह लोगों के लिए ‘राइट सिग्नल’ होगा। इस मामले में राज्य बीजेपी अध्यक्ष बसंत पांडा का कहना है कि इससे यहां के कार्यकर्ताओं का मनोबल भी काफी बढ़ेगा। फिलहाल पुरी से बीजेडी के पिनाकी मिश्रा सांसद हैं। मोदी के पुरी से लड़ने को लेकर दूसरे तर्क पूर्वी भारत में बीजेपी को ताकतवर बनाने के लिए दिए जा रहे हैं। एक बीजेपी नेता ने कहा कि पश्चिमी तट के राज्य गुजरात से आने वाले मोदी अगर पूर्वी तट के राज्य से चुनाव लड़ते हैं तो एक मजबूत राजनीतिक संकेत जाएगा।
बीजेपी को इससे क्या फायदा ?
उनके मुताबिक पीएम मोदी अपनी हर जनसभा में यह कहते भी रहे हैं और इस कदम से यह मैसेज भी जाएगा कि पश्चिमी भारत के साथ-साथ विकास की मुख्यधारा में पूर्वी भारत भी है। बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह भी कई बार कह चुके हैं कि पश्चिम बंगाल और तेलंगाना के साथ-साथ ओडिशा भी उनकी पार्टी के फोकस में है। ओडिशा में विधानसभा चुनाव लोकसभा के साथ ही होने हैं। बीजेपी को लगता है कि चौथी बार सीएम के तौर पर अपनी दावेदारी लेकर उतरने वाले नवीन पटनायक के खिलाफ सत्ता विरोधी माहौल होगा। जिसका सीधा फायदा लोकसभा और विधानसभा में भाजपा को मिलेगा
दरअसल 2014 के आम चुनावों में बीजेपी को ओडिशा की 21 में से एक, पश्चिम बंगाल की 42 में से 2, तेलंगाना की 17 में से एक और आंध्रप्रदेश की 25 में से 2 सीटों पर जीत मिली थी। राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि अगर मोदी ओडिशा से चुनाव लड़े तो पूर्वी भारत में यह बीजेपी की संभावनाओं को बेहतर बनाएगा। हालांकि पीएम मोदी द्वारा राजनीतिक रूप से काफी महत्वपूर्ण यूपी या उनके गृहराज्य गुजरात को छोड़ने के भी कोई संकेत नहीं दिख रहे। लेकिन यदि पीएम मोदी ऐसा करते हैं तो यह भाजपा के मास्टर स्ट्रोक साबित हो सकता है। बरहामपुर यूनिवर्सिटी के राजनीति विज्ञान के एक सेवानिवृत्त प्राफेसर जयंत महापात्रा के मुताबिक मोदी के इस कदम से बड़ा असर तो पड़ेगा लेकिन इसकी संभावना नहीं है। वहीं ओडिशा के रेवेन्यू मिनिस्टर और पुरी से विधायक महेश्वर मोहंती का कहना है कि अगर मोदी पुरी से लड़ते भी हैं तो बीजेडी की सेहत पर कोई फर्क नहीं पड़ेगा।

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