नई दिल्ली, देश के नए चीफ जस्टिस रंजन गोगोई ने देश में वकीलों और जजों की कम संख्या पर अपनी चिंता जाहिर की है। उन्होंने कहा कि कोर्ट में आने वाले केसों की संख्या काफी ज्यादा है। इस संख्या के मुताबिक वकीलों-जजों की संख्या काफी कम है। उन्होंने कहा कि एक हजार लोगों में 15 केस हैं। चीफ जस्टिस गोगोई ने यह बात बार काउंसिल ऑफ इंडिया के इवेंट में कही। उन्होंने कहा कि देश की कानूनी सहायता एक बड़ा मुद्दा है। उन्होंने कहा कि देश में 67 प्रतिशत कैदी अंडर ट्रायल हैं, इनमें 47 प्रतिशत के लोगों की उम्र 18-30 वर्ष के बीच है जिससे साफ है कि बड़ी संख्या में देश के युवा अंडर ट्रायल हैं।
चीफ जस्टिस गोगोई ने कहा कि देश में वकीलों की कितनी संख्या है, केवल 13-14 लाख. जो कि काफी नहीं है। वहीं इसके उल्टे अमेरिका में 200 लोगों पर एक वकील है जबकि भारत में करीब 1800 लोगों पर एक वकील है। इसपर चिंता व्यक्त करते हुए उन्होंने कहा कि वकीलों की संख्या में बढ़ोतरी की जरूरत है। इसके साथ ही गोगोई ने कहा कि जो भी वकील अपनी सेवा दे रहे हैं उन्हें भी अपनी क्वालिटी में सुधार करने की जरूरत है। सीजेआई गोगोई ने कहा कि आर्थिक सामाजिक राजनीतिक मोर्चे पर लगातार लोगों की सक्रियता बढ़ रही है इसलिए हमें और अधिक मामलों को सुलझाने के लिए तैयार रहना चाहिए। उन्होंने कहा कि केसों की संख्या में वृद्धि के साथ वकीलों और जनसंख्या रेशियों में और अधिक अंतर आएगा, इस मामले में बार काउंसिल को आवश्यक कदम उठाने चाहिए।
बता दें कि जस्टिस रंजन गोगोई ने 3 अक्टूबर 2018 को ही देश के 46वें मुख्य न्यायाधीश के तौर पर पदभार संभाला है। जस्टिस गोगोई इस पद पर पहुंचने वाले नार्थ ईस्ट इंडिया के पहले मुख्य न्यायधीश हैं। बतौर मुख्य न्यायाधीश जस्टिस गोगोई के सामने कई चुनौतियां होंगी। देशभर में लंबित मुकदमों की संख्या काफी ज्यादा हैं। एक अनुमान के अनुसार सुप्रीम कोर्ट में ही लंबित मुकदमों की संख्या करीब 57 हजार के आसपास हैं।