लखनऊ, उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में एप्पल के एरिया सेल्स मैनेजर विवेक तिवारी हत्याकांड में पर्दा डालने और आरोपियों को बचाने के लिए पुलिस पर हर तरह की चाल चलने का आरोप लगा है। विवेक को गोली मारे जाने के बाद पुलिस ने परिजनों से तहरीर लेने के बजाए आनन-फानन में उनकी सहकर्मी रही सना से ही मनमाफिक तहरीर लिखवाकर मुकदमा दर्ज कर लिया।
तहरीर लिखते समय पुलिसकर्मियों ने अपने साथी पुलिसकर्मियों को बचाने का प्रयास किया। घटनास्थल पर उनके मौजूद होने का जिक्र तक नहीं किया गया। हालांकि, डीएम कौशलराज शर्मा ने घरवालों की तहरीर पर भी केस दर्ज करने का आश्वासन दिया है। न्यू हैदराबाद निवासी विवेक तिवारी को पुलिसकर्मियों ने उनकी सहकर्मी सना के सामने ही गोली मारी थी। पुलिस इस मामले को काफी देर तक दबाए रही। इसी बीच मुकदमा भी दर्ज कर लिया। तहरीर सना से ही ली गई, लेकिन उसका मजमून गोमतीनगर थाने के पुलिसकर्मियों ने खुद लिखा। तहरीर में बाइक से दो पुलिसकर्मियों के आने का जिक्र तो किया गया, लेकिन विवेक पर गोली किसने चलाई? इसका हवाला नहीं दिया गया है।
परिजनों को इस बात पर भी आपत्ति है कि मुकदमा दर्ज करने के लिए पुलिस ने उनसे तहरीर क्यों नहीं ली? आरोप है कि पुलिस ने ऐसा जानबूझकर किया, जिससे आरोपियों को ट्रायल के समय मदद मिल सके और मौजूदा समय में मुकदमा दर्ज करवाने वाली सना को आसानी से होस्टाइल कर केस को कमजोर किया जा सके।
घटना की प्रत्यक्षदर्शी सना को इस घटना में मुख्य गवाह बनाया जा सकता है। वही एकमात्र शख्स है, जो दोनों पुलिसकर्मियों को पहचान सकती है, लेकिन पुलिस ने उसी को वादी बनाकर चाल चल दी है। हालांकि डीएम कौशलराज शर्मा का कहना है कि घरवाले दूसरी तहरीर देंगे तो उसी आधार पर मुकदमा दर्ज होगा। उनके प्रार्थना पत्र को ही आधार बनाया जाएगा।