नई दिल्ली,भारत की डबल ट्रैप निशानेबाज श्रेयसी सिंह ने 2020 में होने वाले टोक्यो ओलंपिक में पदक जीतना चाहती है। गोल्ड कोस्ट राष्ट्रमंडल खेलों की स्वर्ण पदक विजेता श्रेयसी को इस साल अर्जुन पुरस्कार से सम्मानित किया गया है पर वह स्वर्ण जीतकर खेल रत्न पुरस्कार पाना चाहती है। श्रेयसी जानती हैं कि ओलंपिक पदक जीतने पर यह उपलब्धि हासिल करना आसान होगा।
पुरस्कार करता है प्रेरित
श्रेयसी ने कहा, ‘‘कोई भी पुरस्कार आपको बेहतर करने के लिये प्रेरित करता है। इससे मुझे खेल रत्न पाने के लिये प्रोत्साहन मिला है। इस पुरस्कार के बाद निश्चित तौर पर मेरा लक्ष्य खेल रत्न हासिल करना है जिसके लिये मुझे ओलंपिक पदक जीतना होगा।’’ उन्होंने कहा, ‘‘मैं अभी ओलंपिक क्वालीफिकेशन की तैयारियों में लगी हूं। मैं अपने कोच के मार्गदर्शन में लगातार बेहतर करने के प्रयास में हूं। ओलंपिक में पदक हासिल करने के लिये मुझे हर तरह से बेहतर बनना होगा।’’ श्रेयसी का मानना है कि ओलंपिक पदक जीतने अनुशासन के साथ ही शारीरिक और मानसिक रूप से फिट रहना होगा।
पोडियम तक पहुंचना आसान नहीं
उन्होंने कहा, ‘‘ओलंपिक में पोडियम तक पहुंचना है तो कड़ी मेहनत करनी होगी। इसके लिये कड़े अनुशासन की जरूरत पड़ती है। मुझे परिवार से अनुशासित जिंदगी जीने की सीख मिली है। मैं ‘परफेक्ट’ बनने के लिये निरंतर मेहनत कर रही हूं। निशानेबाजी में एकाग्रता बेहद अहम भूमिका निभाती है।’’ ओलंपिक के लिये ट्रैप स्पर्धा में अभी 24 कोटा स्थान दांव पर लगे हैं। इनमें से आठ स्थान अगले साल होने वाले चार आईएसएसएफ विश्व कप और तीन स्थान एशियाई चैंपियनशिप के जरिये हासिल किये जा सकते हैं।
विश्व कप में कोटा हासिल करना लक्ष्य
श्रेयसी का लक्ष्य विश्व कप में कोटा हासिल करना है। उन्होंने कहा, ‘‘अभी सबसे महत्वपूर्ण देश के लिये कोटा स्थान हासिल करना है। हमें विश्व कप में इसका मौका मिलेगा जिसमें हमारा प्रदर्शन अब तक अच्छा रहा है। महासंघ (एनआरएआई) से हमें पूरा सहयोग और समर्थन मिल रहा है और उम्मीद है कि इस बार न सिर्फ हम पर्याप्त कोटा स्थान हासिल करेंगे बल्कि टोक्यो में पदक जीतने में भी सफल रहेंगे।’’
श्रेयसी ने युवा निशानेबाजों को बढ़ावा देने की भारतीय राष्ट्रीय राइफल संघ (एनआरएआई) की नीति की भी तारीफ की जिससे कि आगे के ओलंपिक खेलों के लिये मजबूत ‘पूल’ तैयार हो रहा है। उन्होंने कहा, ‘‘महासंघ ने सुमा शिरूर, जसपाल राणा, मनशेर सिंह जैसे अनुभवी खिलाडिय़ों को कोचिंग से जोड़ा। अपने सुपर सीनियर्स से हमें सीखने का मौका मिल रहा है। वे प्रतिस्पर्धा की जरूरतों को समझते हैं। महासंघ जिस तरह से जूनियर निशानेबाजों को तैयार कर रहा है उससे हमारे पास युवा खिलाडिय़ों का अच्छा पूल तैयार हो गया है जिनसे हम 2028 ओलंपिक तक पदक की उम्मीद कर सकते हैं।
निशानेबाज श्रेयसी की नजरें टोक्यो ओलंपिक में स्वर्ण पर लगीं
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