भोपाल,प्रश्नोत्तरकाल में पहला ही सवाल सत्ता पक्ष की सुश्री निर्मला भूरिया का था। झाबुआ जिले के ग्रामीण क्षेत्रों में हुए विद्युतीकरण के कार्य की गुणवत्ता पर प्रश्नचिन्ह लगाते हुए पूरे कार्यों की जांच कराए जाने की मांग की। उनका कहन था कि बिजली के तार और खम्बे घटिया स्तर के लगाए गए हैं, जिसके कारण कई जगह वे गिर गए हैं।
आदिमजाति कल्याण विभाग से संबंधित इस प्रश्न का जवाब देते हुए सामान्य प्रषासन विभाग के मंत्री लालसिंह आर्य ने कहा कि उन्हें संबंधित गांवों के नाम दे दिए जाएं वहा जांच करा लेंगे।
कांग्रेस के शैलेन्द्र पटेल का प्रश्न भी ग्रामीण क्षेत्रों में विद्युतीकरण से संबंधित था। उनका कहना था कि अनुसूचित जाति कल्याण योजना के तहत भोपाल संभाग में कार्य होना था, उसके लिए 70 लाख रूपए स्वीकृत किए गए थे, लेकिन कार्य हुआ ही नहीं है।
वे जानना चाहते थे कि जब कार्य ही नहीं हुआ तब स्वीकृत बजट की राशि का क्या हुआ। इस प्रश्न के जवाब में आर्य ने कहा कि योजना में परिवर्तन के कारण कार्य नहीं हुआ है, जल्दी ही यह कार्य भी पूरा कराया जाएगा।
कांग्रेस के वरिष्ठ सदस्य के0पी0 सिंह ने अनुसूचित जाति जनजाति के छात्रावास खोले जाने के मामले में सरकार पर पक्षपात का आरोप लगाते हुए सदन से बहिर्गमन किया।
उनका कहना था कि भोपाल सहित अन्य जिलों में छात्रावास खोले गए हैं लेकिन उनके विधान सभा क्षेत्र की उपेक्षा की गई है।
उनके इस आरोप को नामंजूर करते हुए लालसिंह आर्य ने कहा कि पारदर्शिता के साथ कार्य किया जा रहा है फिर भी कोई शिकायत है तो उसका निराकरण किया जाएगा।