भोपाल, वित्त मंत्री जयंत मलैया ने सोमवार को विधानसभा में कहा कि देश में 8 नवम्बर, 2016 से नोटबंदी के बाद भी राजस्व संग्रह बढ़ा है। यह वृद्धि पूर्व वर्ष की तुलना में नवम्बर में 24.77, दिसम्बर में 12.13, जनवरी में 15.12 तथा फरवरी-2017 में लगभग 14 प्रतिशत रही है।
इस तरह से प्रधानमंत्री द्वारा उठाये गये नोटबंदी के कदम से अर्थ-व्यवस्था में नकारात्मक प्रभाव की आशंका निर्मूल साबित हुई है।
इसके पहले नियंत्रक एवं महालेखापरीक्षक की रिपोर्ट पर चर्चा को लेकर कांग्रेस और भाजपा के सदस्यों के बीच तकरार हो गई। कांग्रेस के मुकेश नायक ने चर्चा की शुरुआत करते हुए सीएजी की रिपोर्ट का हवाला दिया और कहा कि 68 ङ्क्षसचाई परियोजनाएं अपूर्ण हैं, जिससे 14 करोड़ रुपए से अधिक बर्बाद हुए हैं।
उनके इस आरोप पर वन मंत्री डॉ गौरीशंकर शेजवार ने आपत्ति लेते हुए कहा कि इसे गलती नहीं कह सकते।जब लोक लेखा समिति में आने के बाद रिपोर्ट आएगी तब उसकी बात करें। वित्त मंत्री जयंत मलैया ने भी डॉ शेजवार का समर्थन करते हुए कहा कि यह सीएजी का अवलोकन है, लेकिन अंतिम नहीं है।
इस पर डॉ गोङ्क्षवद ङ्क्षसह ने चर्चा में हस्तक्षेप किया और कहा कि 13 साल से सीएजी की रिपोर्ट पर चर्चा क्यों नहीं कराई गई, उन्होंने चुनौती दिया कि अगर हिम्मत है तो चर्चा कराएं।
उन्होंने कहा कि प्रदेश में प्रति व्यक्ति औसत आय राष्ट्रीय स्तर से 40 हजार रुपए कम है, तो हम विकसित राज्य कैसे हैं।
इधर,वित्त मंत्री ने कहा वित्तीय वर्ष 2017-18 में भी राजस्व आधिक्य रहना अनुमानित है। राजकोषीय घाटा सकल राज्य घरेलू उत्पाद के 3.5 प्रतिशत की सीमा में रहना अनुमानित है। उन्होंने कहा कि वित्तीय वर्ष 2017-18 में राज्य का कुल परादेय ऋण सकल राज्य घरेलू उत्पाद की तुलना में 22.22 प्रतिशत अनुमानित है। ब्याज भुगतान 8.3 प्रतिशत रहने का अनुमान है। वित्त मंत्री ने बताया कि राजस्व विभाग में पुनरीक्षित अनुमान 4858.94 करोड़ तथा बजट अनुमान 3785.27 करोड़ है। बजट अनुमान में कमी का मुख्य कारण 1875.85 करोड़ का प्रावधान प्रथम अनुपूरक अनुमान में आपदा राहत राशि के लिये किये जाने के कारण है। इसी तरह वाणिज्य, उद्योग एवं रोजगार विभाग में पुनरीक्षित अनुमानों में कमी का कारण इसका दो भागों में बाँटा जाना है। इसके साथ ही पिछले वर्ष पीथमपुर में भू-अर्जन एवं निवेश प्रोत्साहन योजना में एरियर्स के भुगतान का प्रावधान था, जिसके कारण राशि अधिक थी। किसान-कल्याण तथा कृषि विभाग में 255.80 करोड़ की कमी का मुख्य कारण सूखा सहायता के लिये फसल कृषि बीमा योजना में वर्ष 2016-17 में 2208 करोड़ का भुगतान किया जाना है। इस वर्ष इसकी आवश्यकता नहीं होगी।
निर्धारित सीमा के अंदर ही लिया गया ऋण
राज्य शासन द्वारा राजकोषीय घाटा के लिये निर्धारित सीमा के अंदर ही ऋण लिया गया है। वित्तीय वर्ष 2015-16 के लिये राजकोषीय घाटा की निर्धारित सीमा 3.5 प्रतिशत थी, जबकि वास्तविक राजकोषीय घाटा 2.49 प्रतिशत ही था। वर्ष 2003-04 में राज्य की प्रति व्यक्ति आय 8284 रुपये थी, जो वर्ष 2015-16 में 62 हजार 334 हो गयी है। इसी प्रकार वर्ष 2015-16 में वर्तमान मूल्यों पर राज्य सकल घरेलू उत्पाद में 5.5 गुना की वृद्धि हुई है।
तुलनात्मक आँकड़े
मद/वित्तीय संकेतक वर्ष 2003-04 वर्ष 2017-18 टिप्पणी
वेतन 33.39 20.12
पेंशन 8.38 8.89
ब्याज भुगतान 22.44 8.30
कुल व्यय 21,647 करोड़ 1,69,954 करोड़ लगभग 8 गुना की वृद्धि
राज्य के स्वयं के करों से प्राप्त राजस्व 6805 करोड़ 50295 करोड़ 7 गुना से अधिक वृद्धि
केन्द्रीय करों में राज्य का हिस्सा 4231 करोड़ 51106 करोड़ 12 गुना वृद्धि
केन्द्र से सहायता अनुदान 1773 करोड़ 26034 करोड़ 14 गुना से अधिक वृद्धि
राजस्व व्यय 18765 करोड़ 134519 करोड़ 7 गुना वृद्धि
पूँजीगत परिव्यय 2883 करोड़ 35435 करोड़ 12 गुना से अधिक वृद्धि
नहीं खुली शराब की नई दुकान
राज्य शासन द्वारा प्रदेश में वर्ष 2011 से कोई भी नई शराब की दुकान नहीं खोली गयी। नर्मदा नदी के 5 किलोमीटर सीमा में आने वाली 66 दुकानें एक अप्रैल, 2017 से बंद की जायेंगी। राष्ट्रीय राजमार्ग एवं राज्य मार्ग पर स्थित 1427 शराब की दुकानों को मार्ग से 500 मीटर की दूरी पर स्थापित किया जायेगा।
मलैया ने कहा कि इस तरह से प्रदेश का यह बजट प्रदेश की जनता की आवश्यकताओं के अनुरूप एवं जन-हित में तैयार किया गया है। वित्तीय वर्ष 2017-18 में कुल विनियोग की राशि एक लाख 85 हजार 564 करोड़ है।