देहरादून,उत्तराखंड के कुमाऊं और गढ़वाल मंडलों में वर्तमान शिक्षा सत्र में 700 से अधिक ऐसे सरकारी स्कूलों को बंद कर दिया गया है, जिनमें छात्रों की संख्या दस से भी कम थी। अकेले कुमाऊं मंडल में ऐसे 396 प्राथमिक स्कूल इसी शिक्षा सत्र में बंद किए गए हैं। कुमाऊं और गढ़वाल के ग्रामीण इलाकों में छात्रों की घटती संख्या ने लगभग 2430 स्कूलों को बंद होने के कगार पर पहुंचा दिया है। राज्य गठन के बाद से अब तक सरकारी प्राथमिक विद्यालयों में छात्रों की संख्या घटकर 50 फीसद से भी कम रह गई है। घटती संख्या से परेशान शिक्षा विभाग ने दस या इससे कम छात्र संख्या वाले ऐसे विद्यालयों को नजदीकी विद्यालयों में मिलाने के आदेश दिए थे। उत्तराखंड के 15,428 सरकारी प्राथमिक विद्यालयों में 5 लाख 56 हजार से ज्यादा छात्र पढ़ते हैं, जबकि इसमें सरकारी सहायता प्राप्त विद्यालयों के बच्चों को जोड़ने पर यह संख्या 10 लाख 50 हजार से ज्यादा पहुंच जाती है। दोनों मंडलों में 2430 ऐसे प्राथमिक विद्यालय हैं, जिनमें बच्चों की संख्या 10 से कम हैं। इनमें से अकेले गढ़वाल मंडल में ही दस से कम बच्चों की संख्या के 1365 विद्यालय हैं, जबकि कुमाऊं मंडल में ऐसे विद्यालयों कई संख्या लगभग 1065 के आसपास है।
शिक्षा विभाग के अधिकारियों के अनुसार छात्र संख्या घटने का कारण मुख्य रूप से पलायन है। गढ़वाल में पहाड़ पर लोग या तो कोटद्वार या फिर देहरादून और उसके आस पास बसने की जल्दबाजी में हैं। इसके चलते अधिकांश आबादी के पलायन से यह स्थिति बनी है। कहीं कहीं बच्चों के माता-पिता भी निजी स्कूलों की तरफ अधिक आकर्षित होने से सरकारी स्कूल खाली हो रहे हैं। गढ़वाल मंडल के अपर शिक्षा निदेशक एसपी खाली का कहना है कि घटती छात्र संख्या से बचाने के लिए स्कूलों को स्मार्ट बनाने का भी प्रयास हो रहा है। जिन स्कूलों को स्मार्ट बनाया गया वहां छात्र संख्या बढ़ रही है। एसपी खाली के अनुसार शिक्षक विभाग के साथ मिलकर विद्यार्थियों की संख्या बढ़ाने के प्रयास में अभियान भी चला रहे हैं। इससे भी कुछ हद तक सुधार छात्र संख्या में आयेगा ऐसी उम्मीद है।