नई दिल्ली,रेल मंत्री पीयूष गोयल के कथित ‘संदिग्ध कारोबारी सौदों’ को लेकर कांग्रेस ने हमला तेज कर दिया है, तो दूसरी तरफ बीजेपी डैमेज कंट्रोल के मोड में दिख रही है। कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने कहा, पीयूष गोयल ने अपने पद का लाभ उठाते हुए ऐसे संदिग्ध कारोबारी सौदे किए, जिससे उनकी कंपनियों को फायदा हुआ। लेकिन पीएम मोदी ने इस पर एक शब्द भी नहीं बोला। कांग्रेस ने शनिवार को कहा था कि मोदी इस खुलासे के बाद भी अपने रेल मंत्री को नहीं हटा रहे हैं, जिसका मतलब यह है कि उनकी भी इसमें सहमति है। दूसरी तरह भाजपा ने इन आरोपों को खारिज करते हुए यह दोहराया है कि गोयल ने कुछ भी गलत नहीं किया है। गौरतलब है कि शनिवार को एक न्यूज वेबसाइट ने यह खबर प्रकाशित की थी, जिसमें कहा गया था कि गोयल और पीरामल ग्रुप के बीच सौदे से हितों के टकराव का मामला बनता है, क्योंकि रजिस्ट्रार ऑफ कंपनीज के दस्तावेजों से यह पता चलता है कि गोयल और उनकी पत्नी के संयुक्त स्वामित्व वाली कंपनी को पीरामल ग्रुप को काफी मुनाफे पर बेचा गया। कथित तौर पर यह साल 2014 का मामला है, जब पीयूष गोयल विद्युत राज्य मंत्री थे। हालांकि पीरामल ग्रुप ने भी यह साफ किया है कि इस सौदे में कुछ भी गलत नहीं है और एक स्वतंत्र चार्टर्ड एकाउंटेंट ने फ्लैशनेट इंफो सोल्युशंस प्राइवेट लिमिटेड, जिस कंपनी से मुनाफा कमाने की बात है, का 47.96 करोड़ रुपए का वैल्यूएशन किया था। हालांकि, न तो बीजेपी और न ही पीरामल ग्रुप या पीयूष गोयल चार्टर्ड एकाउंटेंट की रिपोर्ट का विवरण सार्वजनिक करने को तैयार हैं, ताकि यह पता चल सके कि कंपनी का वैल्यूएशन किस तरह से किया गया। फ्लैशनेट इंफो के पहले प्रमोटर गोयल ही थे, जिसे बाद में पीरामल समूह को बेच दिया गया। वेबसाइट की खबर के अनुसार, यह कंपनी ऊर्जा क्षेत्र में ही कारोबार करती थी और पीरामल समूह ने इसके एक साल पहले ही अपने कारोबार को विविधता देते एनर्जी सेक्टर में कदम रखा था। साल 2014 में इस कंपनी के 99.99 फीसदी शेयर गोयल और उनकी पत्नी के पास थे और साल 2014 में उन्होंने अपने शेयर 47.96 करोड़ रुपये में पीरामल एस्टेट्स प्राइवेट लिमिटेड को बेच दिया। इसके चार महीने पहले ही पीयूष गोयल बिजली राज्य मंत्री बने थे।