कर्नाटक चुनावः उत्तर कन्नड़ ने ठुकराई हिंदू-मुस्लिम की राजनीति

बेंगलुरु, कर्नाटक सरकार लंबे समय से उत्तर कन्नड़ के करवार को विकसित कर उसे गोवा की तरह बनाने कोशिश कर रही है। कर्नाटक का यह तटीय इलाका बेहद शांत और खूबसूरत है। हालांकि यहां बीच-बीच में पार्टी कार्यकर्ताओं के गाजे-बाजों का शोर सुनाई देता है। कई कार्यकर्ता वोट के लिए यहां मछली बेचने वाली औरतों से भी संपर्क करते हैं। पार्टी कार्यकर्ताओं के बार-बार आने से ये औरते खासी परेशान होती हैं, उन्हें लगता है कि इससे समय और पैसे दोनों की बर्बादी होती है। यह केंद्रीय मंत्री अनंत कुमार हेगड़े का इलाका माना जाता है। उनके समर्थकों का मानना है कि क्षेत्र में हेगड़े का प्रभाव बनाए रखने के लिए यह जरूरी है कि बीजेपी यहां बेहतर प्रदर्शन करे। साल 2013 में इस इलाके में बीजेपी को शिकस्त का सामना करना पड़ा था और इस बार कांग्रेस तरस खाने के मूड में बिल्कुल नहीं है। हेगड़े ने इस इलाके में जीत हासिल करने के लिए हिंदू कार्ड खेला है, उन्होंने पार्टी अध्यक्ष अमित शाह से भी अनुरोध किया है कि वे साम्प्रदायिक हिंसा में मारे गए हिंदू कार्यकर्ताओं के घरों का दौरा करें। उत्तर कन्नड़ में 8 विधानसभा सीटें हैं, जो दोनों ही पार्टियों के लिए बेहद महत्वपूर्ण हैं। राहुल गांधी के दौरे के कार्यक्रमों पर गौर किया जाए तो हम देखेंगे कि हिंदुत्व कार्ड खेलने में कांग्रेस भी पीछे नहीं है। उन्होंने यहां के प्रसिद्ध धर्मस्थल मुरुदेश्वर का दौरा किया। स्थानीय लोगों का कहना है कि हमेशा की तरह इस बार भी नेता यह नहीं समझ पा रहे हैं कि असल में जनता को क्या चाहिए। एक स्थानीय नागरिक ने कहा, हमें 24 घंटे बिजली चाहिए। हम चाहते हैं कि करवार का विकास एक हब की तरह हो, जहां स्थानीय लोगों के लिए रोजगार के ज्यादा अवसर हों। हमें मंदिरों या हिंदू-मुस्लिम मुद्दों से कोई लेना देना नहीं है। जब भी साम्प्रदायिक हिंसा होती है, हमसे हमारा रोजगार छिन जाता है। इंडियन मुजाहिदीन के यासीन भटकल की वजह से सुर्खियों में आए भटकल शहर में हाल के सालों में कई स्कूल बने हैं, कुछ छोटे-मोटे बिजनेस शुरू हुए हैं। लेकिन यह काफी नहीं है। यहां के लोगों को सरकार से अधिक उम्मीद है। धार्मिक मुद्दों के लिए यहां के लिए लोगों के पास कोई समय नहीं है। धर्म के आधार पर वोटरों को रिझाने की राजनीति को यहां की जनता ने नकार दिया है और इसने बीजेपी और कांग्रेस दोनों की चिंता बढ़ा दी है। सूत्रों का कहना है कि बीजेपी यहां अपनी रणनीति में बदलाव कर सकती है। बीजेपी के लिए चिंता की सबसे बड़ी बात यह है कि टिकट के बंटवारे को लेकर पार्टी के स्थानीय नेताओं ने हेगड़े का खुले तौर पर विरोध किया है। मुरुदेश्वर के एक नेता ने कहा, मुझे टिकट मिलने की उम्मीद थी। मैं यहां सालों से काम कर रहा हूं। दिल्ली की तरफ से मुझे कहा गया कि हेगड़े मेरा ख्याल रखेंगे। लेकिन उनके करीबियों को टिकट दे दी गई। हमसे कहा गया है कि हम राहुल गांधी के मंदिर दौरों का विरोध करें। क्या हमारी जरूरत सिर्फ इसी के लिए है?

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