नई दिल्ली,विश्व हिंदू परिषद (वीएचपी) में नई टीम बनने के साथ ही कई और चीजें बदलने की संभावना है। प्रवीण तोगड़िया की जगह अब एडवोकेट आलोक कुमार ने ले ली है। जहां तोगड़िया अपने तीखे बयानों के लिए जाने जाते थे, वहीं आलोक कुमार को मृदु भाषी कहा जाता है। उनके नजदीकियों के मुताबिक बेहद गुस्से में भी उनका लहजा संतुलित रहता है। दोनों के बीच इस बड़े अंतर के बारे में पूछने पर आलोक कुमार ने कहा कि तोगड़िया हाई प्रोफाइल थे और मैं लो प्रोफाइल हूं। वे बड़े नेता थे और मैं साधारण कार्यकर्ता हूं। संगठन में सब अहम होते हैं और उसमें कोई एक व्यक्ति चमक रहा है, यह मैं नहीं करूंगा। वीएचपी के नए अंतरराष्ट्रीय कार्यकारी अध्यक्ष आलोक कुमार बीजेपी से लेकर संघ तक में काम कर चुके हैं। अभी उनके पास दिल्ली आरएसएस के सह-प्रांत संघचालक की जिम्मेदारी भी है। वीएचपी में आने पर क्या अब वह इस पद पर भी बने रहेंगे, यह पूछने पर वीएचपी के जॉइंट जनरल सेक्रटरी सुरेंद्र जैन ने कहा कि एक पद जैसी बातें राजनीतिक दलों में होती हैं। यहां सबकी जिम्मेदारी होती है और संगठन जो जिम्मेदारी देता है, वह सभी निभाते हैं।
आलोक कुमार दिल्ली यूनिवर्सिटी के अध्यक्ष रहे हैं। वह संघ की छात्र इकाई एबीवीपी के पंजाब में संगठन मंत्री भी थे। बीजेपी के टिकट से दिल्ली से विधायक भी बने और दिल्ली विधानसभा उपाध्यक्ष भी। बीजेपी की राष्ट्रीय टीम में उन्होंने लीगल सेल में भी काम किया, साथ ही ट्रेनिंग सेल के हेड भी रहे। उनके वीएचपी का वर्किंग प्रेजिडेंट बनने से यह उम्मीद की जा रही है कि बीजेपी और वीएचपी के बीच अच्छा तालमेल रहेगा। संघ के एक नेता ने अनौपचारिक बातचीत में कहा कि आलोक कुमार के पास राजनीति का भी अनुभव है, जिसका फायदा मिलेगा। वीएचपी एक हिंदू हेल्पलाइन चलाती है। इसकी शुरुआत तोगड़िया ने की थी और वह ही इसकी पूरी जिम्मेदारी देख रहे थे। अब तोगड़िया के बाहर होने के बाद इस हेल्पलाइन को कौन देखेगा? तोगड़िया से पूछने पर उन्होंने कहा कि मैंने अभी इस बारे में कुछ नहीं सोचा है। आलोक कुमार ने कहा कि हेल्पलाइन को वीएचपी का सेवा विभाग संभालता है और इसे आगे कैसे चलाना है, इसका फैसला हम मिलकर करेंगे।
राम मंदिर को लेकर वीएचपी का स्टैंड रहा है कि मंदिर संसद में कानून बनाकर ही बनाया जा सकता है। इसके लिए वीएचपी सरकार पर दबाव भी डाल रही है। वीएचपी के नए वर्किंग प्रेजिडेंट पेशे से वकील हैं, तो यह सवाल भी है कि क्या वह भी कोर्ट और कोर्ट के फैसले को लेकर इसी तरह सोचते हैं। क्या वीएचपी की लाइन अब चेंज होगी? यह पूछने पर उन्होंने कहा कि अगर कोर्ट का फैसला पक्ष में नहीं आता है तो संसद में कानून बनाकर राम मंदिर बनाया जाएगा। यह पूछने पर कि क्या वह कोर्ट के फैसले का सम्मान नहीं करेंगे, उन्होंने कहा फैसला मौजूदा कानून के हिसाब से आएगा तो हम कानून बदलने को कहेंगे तो इसमें कोर्ट का सम्मान न करने जैसी कोई बात ही नहीं है। पद संभालने के बाद कार्यकर्ताओं को संबोधित करते हुए आलोक कुमार ने कहा, अयोध्या में मस्जिद नहीं बनेगी। मुसलमान उससे बाहर कहीं भी मस्जिद बना सकते हैं। राम मंदिर हमारे लिए महज एक सिंबल नहीं है, यह हिंदू मूल्यों का प्रतीक भी है। यह हर हिंदू की जिम्मेदारी है कि वह मंदिर निर्माण के लिए लड़े। चुनाव के वक्त तोगड़िया ने कई आरोप जड़े, इससे वीएचपी विभाजित भी दिखी, इस बारे में पूछने पर आलोक कुमार ने कहा कि जब तक संगठन के भीतर लोकतांत्रिक प्रक्रिया से चुनाव चल रहा था, कार्यकर्ता दोनों तरफ थे। लेकिन अब वह वीएचपी में नहीं हैं और सभी कार्यकर्ता वीएचपी के साथ हैं। उन्होंने कहा कि क्रेडिबिलिटी किसी नाम की नहीं होती, बल्कि वह वीएचपी की है, संगठन की है।