जम्मू,कठुआ गैंगरेप और मर्डर केस में दाखिल आरोप-पत्र से इस बात का खुलासा हुआ है कि बकरवाल समुदाय की बच्ची का अपहरण, गैंगरेप और हत्या इलाके से इस अल्पसंख्यक समुदाय को हटाने की एक सोची समझी साजिश का हिस्सा थी। इसमें कठुआ स्थित रासना गांव में देवीस्थान मंदिर के सेवादार को मुख्य साजिशकर्ता बताया गया है। मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट की अदालत में दाखिल 15 पृष्ठों के आरोप-पत्र के मुताबिक, बच्ची को जनवरी में एक हफ्ते तक कठुआ के रासना गांव में देवीस्थान मंदिर में बंधक बना कर रखा गया था। उससे छह लोगों ने गैंगरेप किया था। बच्ची को नशीली दवा दे कर रखा गया था। उसकी हत्या से पहले दरिंदों ने उसे बार-बार हवस का शिकार बनाया था। इस बात का भी खुलासा हुआ है कि सांझी राम के साथ विशेष पुलिस अधिकारी दीपक खजुरिया और सुरेंद्र वर्मा, मित्र परवेश कुमार उर्फ मन्नू, राम का किशोर भतीजा और उसका बेटा विशाल जंगोत्रा उर्फ शम्मा शामिल हुए। आरोप पत्र में जांच अधिकारी हेड कांस्टेबल तिलक राज और उप निरीक्षक आनंद दत्त भी नामजद हैं, जिन्होंने राम से चार लाख रुपए लिए। इसके बाद इस केस से जुड़े अहम सबूत नष्ट किए। एक किशोर आरोपी की भूमिका के बारे में पुलिस ने अलग आरोप पत्र दाखिल किया। सभी आठ लोग गिरफ्तार कर लिए गए हैं। आरोप पत्र में कहा गया है कि बच्ची का शव बरामद होने से छह दिन पहले 11 जनवरी को किशोर ने अपने चचेरे भाई जंगोत्रा को फोन किया था और मेरठ से लौटने को कहा था। आरोपी किशोर अपनी स्कूली पढ़ाई छोड़ चुका है। किशोर की मेडिकल जांच से जाहिर होता है कि वह वयस्क है, लेकिन अदालत ने अभी तक रिपोर्ट का संज्ञान नहीं लिया है। खजुरिया ने बच्ची का अपहरण करने के लिए किशोर को लालच दिया। उससे कहा कि वह बोर्ड परीक्षा पास करने में उसकी मदद करेगा। इसके बाद उसने परवेश से योजना साझा कर उसे अंजाम देने में मदद मांगी, जो राम और खजुरिया ने बनाई थी। जंगोत्रा अपने चचेरे भाई का फोन आने के बाद मेरठ से रासना पहुंचा और किशोर और परवेश के साथ बच्ची से बलात्कार किया, जिसे नशीली दवा दी गई थी। राम के निर्देश पर बच्ची को मंदिर से हटाया गया। उसे खत्म करने के लिए पास के जंगल में ले गए। जांच के मुताबिक, खजुरिया भी मौके पर पहुंचा और उनसे इंतजार करने को कहा, क्योंकि वह बच्ची की हत्या से पहले उसके साथ फिर से बलात्कार करना चाहता था। बच्ची से एक बार फिर सामूहिक बलात्कार किया गया और बाद में किशोर ने उसकी हत्या कर दी। इसमें कहा गया है कि किशोर ने बच्ची के सिर पर पत्थर से दो बार प्रहार किया। इसके बाद उसके शव को जंगल में फेंक दिया। वाहन का इंतजाम नहीं हो पाने के चलते नहर में शव को फेंकने की उनकी योजना नाकाम हो गई थी। शव का पता चलने के करीब हफ्ते भर बाद 23 जनवरी के सरकार ने यह मामला अपराध शाखा को सौंपा, जिसने एसआईटी गठित कर दी। एसआईटी द्वारा की जांच में चौंका देने वाले खुलासे होने लगे थे। आरोप पत्र में कहा गया है कि जांच में यह पता चला कि जनवरी के प्रथम सप्ताह में ही आरोपी सांझी राम ने रासना इलाके से बकरवाल समुदाय को हटाने का फैसला कर लिया था, जो उसके दिमाग में कुछ समय से चल रहा था। राम ने मामले की जांच कर रहे पुलिस अधिकारियों को चार लाख रुपए तीन किश्तों में दिए थे, ताकि सबूत नष्ट किए जा सकें।
जांच में इस बारे में ब्योरा दिया गया है कि आरोपी पुलिस अधिकारियों ने मृतका के कपड़े फारेंसिक प्रयोगशाला में भेजने से पहले उसे धोकर किस तरह से अहम सबूत नष्ट किए और मौके पर झूठे साक्ष्य बनाए। आरोपी राम रासना, कूटा और धमयाल इलाके में बकरवाल समुदाय के बसने के खिलाफ था। वह हमेशा ही अपने समुदाय के लोगों को उनके खिलाफ करता था।